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आखिर दवाइयों के पैकेट पर क्यों होता है, लाल रंग..? क्या है इसका मतलब..?

दवाइयों की मदद से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। कुछ लोग दवाइयों पर इतने निर्भर होते हैं कि वे हल्के खांसी-जुकाम के लिए भी दवाई लेते हैं वह भी बिना किसी डॉक्टर की सलाह के। डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई लेना काफी हानिकारक साबित हो सकता है। …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 15 Mar, 2024
आखिर दवाइयों के पैकेट पर क्यों होता है, लाल रंग..? क्या है इसका मतलब..?

दवाइयों की मदद से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। कुछ लोग दवाइयों पर इतने निर्भर होते हैं कि वे हल्के खांसी-जुकाम के लिए भी दवाई लेते हैं वह भी बिना किसी डॉक्टर की सलाह के।

डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई लेना काफी हानिकारक साबित हो सकता है।

इसलिए सरकार ने एक कैंपेन चलाया है और दवाई के पैकेट पर बने लाल रंग का मतलब बताया।

बीमारियों से लड़ने के लिए दवाइयां बेहद जरूरी हैं। क्रॉनिक बीमारियों में तो लोगों को काफी लंबे समय तक दवाइयां खानी पड़ती हैं।

कुछ लोग खुद को एक्सपर्ट मानकर खुद ही अपनी बीमारी के लिए दवाई ले लेते हैं। बुखार, जुकाम, दस्त जैसी समस्याओं के लिए कई लोग खुद ही दवाई ले लेते हैं।

हालांकि, कुछ हद तक यह काम करता है, लेकिन हर दवाई खुद से लेना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है।

अगर आपने ध्यान दिया होगा, तो कुछ दवाइयों पर लाल रंग की स्ट्रिप या बॉक्स बना रहता है।

क्या आप जानते हैं, इसका क्या मतलब होता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं दवाई पर बनी लाल रंग की स्ट्रिप का क्या मतलब होता है।

क्या है लाल रंग की स्ट्रिप का मतलब?

हाल ही में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए बताया कि कुछ दवाइयों के पैकेट पर बनी लाल रंग की स्ट्रिप का मतलब होता है कि इस दवाई को बिना किसी डॉक्टर की सलाह के न लें।

साथ ही, अगर आपके डॉक्टर ने ऐसी कोई दवाई लेने को कहा है, तो उनका कोर्स पूरा करें, बीच में न छोड़ें।

इस अपडेट में यह भी लिखा था कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से बचें। एंटीबायोटिक्स पर भी लाल मार्क होता है, जिसका मतलब है कि बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स नहीं लेनी चाहिए।

कई बार लोग खुद अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं। इस कारण धीरे-धीरे बैक्टीरिया इन एंटीबायोटिक्स के प्रति इम्युनिटी बना लेते हैं और ये दवाइयां उन पर बेअसर हो जाती हैं।

क्या है रेड लाइन कैंपेन?

लोगों की खुद से दवाई लेने की इस आदत को रोकने के लिए Ministry of Health and Family Welfare ने एक कैंपेन लॉज किया है, जिसका नाम है Red Line Campaign। रेड लाइन कैंपेन की मदद से वे एंटीमाइक्रोब्ल रेजिस्टेंस को कम करने के लिए लोगों में खुद से दवाई लेने (Self-Medication) के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस कैंपेन के लिए ही यह पोस्ट डालकर बताया गया कि जिन दवाइयों के पैकेट पर रेड लाइन बने हो, उसे बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के न लें और केमिस्ट भी ऐसी दवाइयों को बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन देखे न बेचें।

 

 

 

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