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पांच दशक बाद ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा पुन: हुई जीवित..

संवादाता : विनय उनियाल, •श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का टिहरी राज दरबार में पट्टाभिषेक हुआ संपन्न।   श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुल रहे है इससे पहले श्री बदरीनाथ धाम से संबंधित पांच दशक पहले समाप्त हुई रावल पट्टाभिषेक की ऐतिहासिक परंपरा पुन: …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 07 May, 2024
पांच दशक बाद ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा पुन: हुई जीवित..

संवादाता : विनय उनियाल,

•श्री बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का टिहरी राज दरबार में पट्टाभिषेक हुआ संपन्न।

 

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुल रहे है इससे पहले श्री बदरीनाथ धाम से संबंधित पांच दशक पहले समाप्त हुई रावल पट्टाभिषेक की ऐतिहासिक परंपरा पुन: जीवित हो गयी है।

आज सोमवार को टिहरी राजदरबार नरेंद्र नगर में पूजा-अर्चना एवं विधि-विधान से महाराजा टिहरी मनुजयेंद्र शाह द्वारा श्री बदरीनाथ धाम के रावल का पट्टाभिषेक किया गया और सोने का कड़ा पहनाया।इससे पहले वर्ष 1977 में रावल टी केशवन नंबूदरी का पट्टाभिषेक हुआ इसके बाद यह परंपरा रूक गयी थी।

 

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इसके लिए पहल की और आज सोमवार को राज दरबार में पूजा अर्चना पश्चात रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी को महाराजा मनुजयेंद्र शाह द्वारा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह तथा बेटी शिरजा शाह सहित श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय एवं उपाध्यक्ष किशोर पंवार की उपस्थिति में अंग वस्त्र भेंट कर सोने का कड़ा पहनाया गया। सोने का कड़ा राजशाही की परंपरा वह प्रतीक है।

 

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने जानकारी दी कि रावल की नियुक्ति मंदिर समिति एक्ट 1939 से पहले महाराजा टिहरी द्वारा होती थी यह पट्टाभिषेक एवं सोने का कड़ा उसी परंपरा का एक ऐतिहासिक एवं सास्कृतिक प्रतीक चिह्न है।

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