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IBD रोग से सावधान ! जानिए लक्षण और इलाज

IBD रोग से सावधान ! जानिए लक्षण और इलाज : वर्ल्ड इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिज़ीज़ (IBD) डे 2025 के अवसर पर श्री महंत इंदिरेश अस्पताल, देहरादून के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा एक व्यापक रोगी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 50 से अधिक मरीजों और उनके परिजनों ने भाग …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 20 May, 2025
IBD रोग से सावधान ! जानिए लक्षण और इलाज

IBD रोग से सावधान ! जानिए लक्षण और इलाज :  वर्ल्ड इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिज़ीज़ (IBD) डे 2025 के अवसर पर श्री महंत इंदिरेश अस्पताल, देहरादून के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा एक व्यापक रोगी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 50 से अधिक मरीजों और उनके परिजनों ने भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य IBD के समय पर निदान और सही प्रबंधन के महत्व को समझाना था।

डॉ. अमित सोनी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस वर्ष की थीम “IBD Has No Borders: Breaking Taboos, Talking About It” को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि IBD केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक चुनौती भी है, जिसे लेकर खुलकर बात करना और सतत सहयोग आवश्यक है।

डॉ. सोनी ने बताया, “IBD के लक्षणों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। दुर्भाग्यवश, अधिकतर मरीज काफी देर से अस्पताल आते हैं, जब तक बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है।” उन्होंने आगे कहा कि “खून आना जैसे लक्षणों को कई बार बवासीर या पाइल्स समझकर इलाज किया जाता है, और वर्षों बाद कोलोनोस्कोपी में पता चलता है कि मरीज को अल्सरेटिव कोलाइटिस है, जिसका इलाज पूरी तरह अलग होता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि IBD का इलाज लाइफलॉन्ग होता है, और मरीज को नियमित काउंसलिंग, मोटिवेशन और डाइट गाइडेंस की आवश्यकता होती है। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा मरीजों को निरंतर सहयोग और परामर्श प्रदान किया जाता है।शिविर के दौरान मरीजों ने खान-पान संबंधी नियम, azathioprine जैसे इम्यूनो-सप्रेसिव दवाओं के दौरान संक्रमण का खतरा, दवा लेने में सावधानियाँ, और flare के समय पालन की जाने वाली डाइट से संबंधित कई प्रश्न पूछे। सभी प्रश्नों का उत्तर डॉ. अमित सोनी द्वारा विस्तारपूर्वक और संतोषजनक रूप से दिया गया।

इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ रेज़िडेंट्स डॉ. पवन मौर्य, डॉ. चैतन्य गुप्ता और डॉ. उत्कर्ष भी उपस्थित रहे, जिन्होंने मरीजों के बीच जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाई और उन्हें IBD से जुड़े मिथकों और भ्रांतियों से बाहर निकलने में मदद की।यह शिविर न केवल जानकारीपूर्ण रहा, बल्कि मरीजों को सशक्त बनाने वाला भी सिद्ध हुआ। इसने डॉक्टरों और मरीजों के बीच एक सशक्त संवाद को जन्म दिया और यह संदेश दिया कि सही मार्गदर्शन और सहयोग के साथ IBD के साथ भी एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जिया जा सकता है।

सूजन आंत्र रोग, जिसे आईबीडी भी कहा जाता है, उन स्थितियों के समूह के लिए एक व्यापक शब्द है जो पाचन तंत्र में ऊतकों की सूजन और जलन का कारण बनता है।

आईबीडी के सबसे आम प्रकारों में शामिल हैं: –

अल्सरेटिव कोलाइटिस – इस स्थिति में बृहदान्त्र और मलाशय की परत पर सूजन और घाव होते हैं, जिन्हें अल्सर कहा जाता है।

क्रोहन रोग – इस प्रकार के आईबीडी में पाचन तंत्र की परत में सूजन आ जाती है। यह स्थिति अक्सर पाचन तंत्र की गहरी परतों को प्रभावित करती है।

क्रोहन रोग सबसे अधिक छोटी आंत को प्रभावित करता है। हालाँकि, यह बड़ी आंत और, असामान्य रूप से, ऊपरी जठरांत्र संबंधी मार्ग को भी प्रभावित कर सकता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग दोनों के लक्षणों में आमतौर पर पेट दर्द, दस्त, मलाशय से रक्तस्राव, अत्यधिक थकान और वजन कम होना शामिल हैं।

कुछ लोगों के लिए, आईबीडी केवल एक हल्की बीमारी है। लेकिन दूसरों के लिए, यह एक ऐसी स्थिति है जो विकलांगता का कारण बनती है और जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

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