उत्तरकाशी में हेलिकॉप्टर क्रैश से कोहराम, छह की मौत : उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। केदारनाथ तीर्थ के लिए सेवा देने वाले एक निजी हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। यह हेलिकॉप्टर यात्रियों को लेकर फाटा से केदारनाथ की ओर जा रहा था, लेकिन बीच रास्ते में तकनीकी खराबी और खराब मौसम के कारण यह गहरी खाई में गिर गया।
हादसे के बाद मातम और कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF), पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई। राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हुआ, लेकिन सभी यात्रियों की जान नहीं बचाई जा सकी। मृतकों में हेलिकॉप्टर का पायलट और पांच तीर्थयात्री शामिल हैं। इस हादसे के बाद केदारनाथ हेली सेवा को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, ताकि सुरक्षा जांच की जा सके और दोबारा ऐसी दुर्घटना ना हो।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को संवेदना दी है। साथ ही जांच के आदेश देते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
‘एक देश, एक चुनाव’ पर उत्तराखंड आएगी संयुक्त संसदीय समिति
इन घटनाओं के बीच देशभर में चल रही ‘एक देश, एक चुनाव’ की बहस भी अपने नए चरण में पहुंच रही है। इसी विषय पर देश के विभिन्न हिस्सों से राय लेने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) 20 मई को उत्तराखंड पहुंचेगी। इस समिति में गढ़वाल से सांसद अनिल बलूनी और अध्यक्ष पी.पी. चौधरी समेत कुल 40 सांसद शामिल हैं।
समिति 20 से 22 मई तक उत्तराखंड में रहेगी और इस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और हितधारकों से मुलाकात कर ‘एक साथ चुनाव’ की व्यवहारिकता, चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा करेगी। समिति अपनी यात्रा की शुरुआत महाराष्ट्र से करेगी, इसके बाद उत्तराखंड उसका दूसरा पड़ाव होगा।
जेपीसी का उद्देश्य देशभर के नागरिकों और राजनीतिक संगठनों से व्यापक फीडबैक लेना है, ताकि ‘एक देश, एक चुनाव’ की नीति को लागू करने के लिए एक व्यवहारिक रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा सके।
समिति का संभावित कार्यक्रम
20 मई शाम: देहरादून आगमन
21 मई: विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और एनजीओ के प्रतिनिधियों से मुलाकात
22 मई: मीडिया व नागरिक संगठनों से संवाद, फिर दिल्ली वापसी
जेपीसी के इस दौरे को राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि उत्तराखंड जैसा राज्य, जहां संसाधनों की सीमाएं और भौगोलिक कठिनाइयां हैं, वहां एकसाथ चुनाव कराना प्रशासनिक तौर पर कितना संभव है, इस पर जमीनी राय बेहद महत्वपूर्ण होगी।