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पहाड़ों पर मंडरा रहा खतरा! सात जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट

उत्तराखंड : मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर में कुछ क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा और कहीं-कहीं भारी बारिश के दौर हो सकते हैं। उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश का दौर जारी है। मंगलवार को रुद्रप्रयाग, …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 14 Aug, 2024
पहाड़ों पर मंडरा रहा खतरा! सात जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट

उत्तराखंड : मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर में कुछ क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा और कहीं-कहीं भारी बारिश के दौर हो सकते हैं।

उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश का दौर जारी है। मंगलवार को रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर जिले में तेज बारिश हुई।

वहीं देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़, टिहरी, ऊधम सिंह नगर और उत्तरकाशी के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई।

14 और 15 अगस्त को भी कुमाऊं मंडल के कुछ इलाकों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। राज्य में 14 से 18 अगस्त तक तेज बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और बागेश्वर जिलों में कहीं-कहीं बादलों की जोरदार गर्जना और बिजली चमकने के साथ ही भारी बारिश होगी।

इसके साथ ही टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में बादलों की गरज और बिजली चमकने के साथ ही बारिश की तेज बौछारें पड़ेंगी।

15 अगस्‍त यानी कल गुरुवार के लिए भी मौसम विभाग ने यलो अलर्ट जारी किया है। सभी जिलोंं में हल्‍की से मध्‍यम बारिश की संभावना है।

इसके साथ ही मौसम विभाग ने संवेदनशील इलाकों में कहीं-कहीं हल्के से मध्यम भूस्खलन की आशंका जताई है। भूस्खलन से नेशनल हाईवे और राजमार्गों पर कटान भी हो सकता है।

मौसम विभाग का अनुमान है कि बारिश, लैंडस्लाइड, जल भराव के कारण कहीं-कहीं कुछ दिनों के लिए बिजली और पानी जैसी मूलभूत चीजों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

मौसम विभाग ने बिजली चमकने की स्थिति में सावधान रहने को कहा है। उनको आशंका है कि बिजली गिरने के दौरान जानमाल का नुकसान हो सकता है।

मौसम विभाग के अनुसार लगातार बारिश के कारण बांधों और बैराजों में वाटर लेवल बढ़ने से अधिक मात्रा में पानी छोड़ा जा सकता है जिस कारण मैदानी इलाकों में नदियों का जलस्तर बढ़ेगा और बाढ़ की स्थिति हो सकती है।

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