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दून अस्पताल में पहली बार चार माह के बच्चे का सफल मोतियाबिंद सर्जरी और लेंस प्रत्यारोपण..

दून अस्पताल में पहली बार चार माह के बच्चे का मोतियाबिंद का लेंस प्रत्यारोपण के साथ सफल ऑपरेशन किया गया। बच्चे की दोनों आंखों में जन्म से ही सफेद मोतियाबंद था। रुड़की के अलावा और एम्स (लंबी तारिख) जैसे अस्पताल में भी जब परिजनों को मायूसी मिली तो वे बच्चे …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 21 Sep, 2024
दून अस्पताल में पहली बार चार माह के बच्चे का सफल मोतियाबिंद सर्जरी और लेंस प्रत्यारोपण..

दून अस्पताल में पहली बार चार माह के बच्चे का मोतियाबिंद का लेंस प्रत्यारोपण के साथ सफल ऑपरेशन किया गया। बच्चे की दोनों आंखों में जन्म से ही सफेद मोतियाबंद था। रुड़की के अलावा और एम्स (लंबी तारिख) जैसे अस्पताल में भी जब परिजनों को मायूसी मिली तो वे बच्चे को लेकर दून अस्पताल पहुंचे, यहां बच्चे की सफल सर्जरी की गई।

ऑपरेशन के बाद बच्चा टॉर्च की लाइट को देखकर खुश हो रहा है।

यूनिट 2 नेत्र रोग विभाग की टीम ने बताया कि रुड़की में रहने वाला अब्दुल्ला चार महीने का है। उसके पिता मारूफ ने प्राइवेट में इलाज में पैसे की कमी के कारण असुविधा जाताई |

उसके परिजनों ने चिकित्सकों को बताया कि अब्दुल्ला जब दो महीने का था तो उन्हें महसूस हुआ कि अब्दुल्ला किसी भी वस्तु को देखकर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। चिंतित परिजनों ने शुरुआत में रुड़की में ही डॉक्टरों को दिखाया, तो जांच में पता चला कि अब्दुल्ला को सफेद मोतियाबिंद है। प्राइवेट हॉस्पिटल में खर्चा लगभग 80000 ₹ बताया गया तो उन्होंने असमर्थता जाताई |

इसके बाद परिजन उसे लेकर एम्स ऋषिकेश पहुंचे, यहां भी सफेद मोतियाबिंद होने की बात कही गई।
जहां लंबी तारिख मिलने पर परिजन उसे लेकर दून अस्पताल आए। यहां अब्दुल्लाह son of मारूफ का RBSK ( राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ) से मुफ्त में ऑपरेशन के लिए पंजीकरण कराया गया |

यहां गुरुवार को अब्दुल्ला की लेंस प्रत्यारोपण के साथ पहला सफल ऑपरेशन हुआ | ज्यादातर case’s में lens प्रत्यारोपण के लिए उमर बढ़ने पर सर्जरी की जाती है.

ऑपरेशन के समय व्हाइट to व्हाइट diameter ठीक होने पर same सिटिंग में लेंस प्रत्यारोपण किया गया |
सर्जरी की गई।

यूनिट 2 की टीम से मिली जानकारी के अनुसार ने बताया कि सर्जरी के अगले दिन जब अब्दुल्ला की पट्टी खोलकर उसको टॉर्च की लाइट दिखाई गई तो उसे देखकर उसने प्रतिक्रिया दी | पिता मारूफ and उसकी माता खुशी से रोने लगी | सभी डॉक्टर का दिल से आभार जताया।उन्होंने बताया कि अभी अब्दुल्ला को निगरानी में रखा गया है।

यूनिट 2 नेत्र रोग विभाग की टीम में प्रोफेसर डॉ. सुशील ओझा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दुष्यंत उपाध्याय, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीरज सारस्वत,
डॉ. अनंता रैना, डॉ. गौरव कुमार, डॉ. ईशान सिंह, डॉक्टर सुमन, विजयलक्ष्मी, शैलेश का योगदान रहा।

Anesthesia Dept se
डॉक्टर निधि गुप्ता AND डॉक्टर विपाशा मित्तल ने सहयोग किया . इतनी कम उम्र में Anesthesia का challenging case करवाया |

निदेशक प्रोफेसर( डॉक्टर) आशुतोष सयाना ; प्राचार्य प्रोफेसर गीता जैन ; HOD प्रोफेसर शांति पांडे; MS प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल AND DMS Dr धनंजय ने टीम को बधाई दी |

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