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लड़की ने मां के संग मांगी भीख फिर बनी डाॅक्टर

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक लड़की जो पहले भीख मांग कर गुजारा करती थी, वो अब डॉक्टर बन गई है. नामुमकिन लगने वाले इस काम को धर्मशाला की पिंकी ने अपनी मेहनत और एक बौद्ध भिक्षु की मदद से मुमकिन करके दिखा दिया है. दरअसल मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 18 Nov, 2024
लड़की ने मां के संग मांगी भीख फिर बनी डाॅक्टर

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक लड़की जो पहले भीख मांग कर गुजारा करती थी, वो अब डॉक्टर बन गई है. नामुमकिन लगने वाले इस काम को धर्मशाला की पिंकी ने अपनी मेहनत और एक बौद्ध भिक्षु की मदद से मुमकिन करके दिखा दिया है. दरअसल मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध के मंदिर के पास साढ़े चार साल की मासूम पिंकी हरयान कभी अपनी मां के साथ लोगों के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगती थी, लेकिन बुद्ध की दया और करुणा के प्रतीक तिब्बती शरणार्थी भिक्षु जामयांग ने अन्य भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों के साथ उसे भी अपना बच्चा बनाकर नई जिंदगी दे दी. जिसके चलते आज ठीक बीस साल बाद वो ही लड़की एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर बन गई है।

माता-पिता संग झुग्गी में रहती थी डॉ. पिंकी

पिंकी हरयान का कहना है, “मुझे डॉक्टर बनने पर बहुत खुशी हो रही है. मुझे अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाना बहुत पसंद है.” पिंकी ने बताया कि 2004 में वो अपनी मां कृष्णा के साथ मैक्लोडगंज में त्योहारों के सीजन में बुद्ध मंदिर के पास भीख मांग रही थी. तभी भिक्षु जामयांग की नजर उन पर पड़ी. कुछ दिन बाद भिक्षु जामयांग चरान खड्ड की झुग्गी-बस्ती में आए, जहां पिंकी अपने परिवार के साथ रहती थी. भिक्षु जामयांग ने पिंकी को देखते ही पहचान लिया. उसके बाद उन्होंने पिंकी के पिता कश्मीरी लाल से अनुरोध किया कि वो पिंकी को पढ़ाई करने के लिए उनके नए शुरू किए गए टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के हॉस्टल में भेज दें. ये हॉस्टल चरान खड्ड की गंदी झुग्गियों में रहने वाले उन बच्चों के लिए था, जो भीख मांगते थे या फिर सड़कों पर कूड़ा बीनते थे. उसके पिता कश्मीरी लाल बूट पॉलिश करते थे।

 बचपन से था डॉक्टर बनने का सपना

पिंकी ने बताया कि उसके माता-पिता ने शुरुआती ना-नुकुर के बाद उसे जामयांग को सौंप दिया. पिंकी कहती है, “मैं टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के हॉस्टल में शामिल किए गए बच्चों के पहले बैच में थी. शुरू-शुरू में मैं बहुत रोती थी और घर वालों को याद करती थी, लेकिन धीरे-धीरे अन्य बच्चों के साथ हॉस्टल में मन लग गया.” वहीं अन्य बच्चों के साथ पिंकी का भी धर्मशाला के दयानंद मॉडल स्कूल में दाखिला कर दिया गया. स्कूल में टीचर्स द्वारा पूछने पर कि बड़े होकर वो क्या बनेगी? पिंकी का हर बार एक ही जवाब होती था- डॉक्टर. हालांकि तब उन्होंने नहीं सोचा था कि अपने पैशन का पीछा करते हुए वो एक दिन सच में डॉक्टर बन जाएंगी।

चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटी से पूरी की MBBS

भिक्षु जामयांग ने बताया, “पिंकी पढ़ाई में शुरू से बहुत अच्छी थी. 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही उसने नीट की परीक्षा भी पास कर ली थी. उसे किसी प्राइवेट कॉलेज में प्रवेश मिल सकता था, लेकिन वहां फीस बहुत अधिक थी. इसलिए उन्होंने उसे चीन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल विश्वविद्यालय में 2018 में दाखिला दिला दिया. वहां से 6 साल की एमबीबीएस की डिग्री पूरी करके अब पिंकी धर्मशाला लौट आई है।

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