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दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप है गोल्डन ब्लड

आज हम आपको एक दिलचस्प जानकारी से रूबरू करा रहे हैं। आम तौर पर ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा नहीं है क्योंकि एक ऐसा ब्लड ग्रूप भी है जिसके बारे में कम लोग जानते हैं क्योंकि ये काफी कम लोगों …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 28 Sep, 2024
दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप है गोल्डन ब्लड

आज हम आपको एक दिलचस्प जानकारी से रूबरू करा रहे हैं। आम तौर पर ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा नहीं है क्योंकि एक ऐसा ब्लड ग्रूप भी है जिसके बारे में कम लोग जानते हैं क्योंकि ये काफी कम लोगों में पाया जाता है। जिस वजह से इसे गोल्डन ब्लड का नाम दिया गया है। है न हैरानी भरा सच तो जानिए इसके बारे में-

क्या होता है ये गोल्डन ब्लड ?

इस ब्लड ग्रुप का असली नाम है आरएच नल। रेयरेस्ट होने की वजह से रिसर्च कर रहे साइंटिस्ट ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है। यह खून बहुत ही उपयोगी होता है क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर यह किसी भी ब्लड ग्रुप के काम आ सकता है। यह उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है जिनका आरएच फैक्टर शून्य होता है यानी आरएच नल।

आखिर क्या होता है आरएच फैक्टर?

आरएच फैक्टर लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन है।अगर यह प्रोटीन आरबीसी (रेड ब्लड कॉर्पसल्स) में मौजूद है तो ब्लड आरएच पॉजिटिव हो जाता है। वहीं अगर ये प्रोटीन मौजूद नहीं तो ब्लड आरएच निगेटिव हो जाता है। इस प्रोटीन को आरएच एंटीजन भी कहते हैं।लेकिन, गोल्डन ब्लड वाले लोगों में आरएच फैक्टर न ही पॉजिटिव होता है और न ही निगेटिव, वो आरएच नल होता है।

यूनिवर्सल डोनर होते हैं

बिगथिंक की एक रिसर्च के अनुसार साल 2018 तक यह खास ब्लड सिर्फ 43 लोगों में मौजूद था।जिसमें ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और यूएस के लोग शामिल हैं।

 

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