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#नैनीताल

यहाँ इस बैक्टीरिया की दहशत,,इतने घंटे में ले सकता हैं जान..

जापान में कोविड-19 के सुरक्षा नियमों को कम करते ही फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। इस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी इतनी खतरनाक है कि वह महज दो दिनों में व्यक्ति को स्वर्ग का दरवाजा दिखा सकती है। इसलिए इस बीमारी के लक्षणों और बचाव …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 17 Jun, 2024
यहाँ इस बैक्टीरिया की दहशत,,इतने घंटे में ले सकता हैं जान..

जापान में कोविड-19 के सुरक्षा नियमों को कम करते ही फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं।

इस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी इतनी खतरनाक है कि वह महज दो दिनों में व्यक्ति को स्वर्ग का दरवाजा दिखा सकती है।

इसलिए इस बीमारी के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी होना जरूरी है।

कोविड-19 वायरस के बाद अब एक ऐसा बैक्टीरिया सामने आया है, जो मानवता पर कहर बरपा सकता है।

आपको बता दें कि इस बैक्टीरिया का नाम ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस है। इसके संक्रमण की वजह से स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम  (STSS) नाम की एक बेहद गंभीर बीमारी हो सकती है, जो जानलेवा है।

जापान में यह बीमारी (STSS Bacteria in Japan) कोविड-19 के रेस्ट्रिक्शन्स को कम करने के बाद तेजी से फैलने लगाी है।

यह बीमारी इसलिए इतनी खतरनाक मानी जा रही है, क्योंकि इसकी वजह से मरीज की 48 घंटे, यानी दो दिन के भीतर मौत हो सकती है।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज के मुताबिक, इस साल 2 जून तक जापान में इस बीमारी के मामले 977 हो गए हैं, जबकि पिछले साल यह मामले 941 थे।

आपको बता दें कि यह संस्था साल 1999 से इस बीमारी का निरीक्षण कर रही है। संक्रमण के बढ़ते मामले और मृत्यु दर अधिक होने के कारण यह बीमारी बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।

आइए जानते हैं इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है।

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी के सबसे आम लक्षण हैं सूजन और बच्चों में गले में खर्राश, जिसे स्ट्रीप थ्रोट भी कहा जाता है। इनके अलावा, इस बीमारी की वजह से हाथ-पैरों में दर्द, बुखार, ब्लड प्रेशर कम होना, सूजन, सांस लेने में तकलीफ, नेक्रोसिस (टिश्यूज का मरना), सूजन, ऑर्गन फेलियर और मृत्यु भी हो सकती है।

यह बीमारी बेहद तेजी से फैलती है। पैरों से घुटनों तक पहुंचने में इसे बस कुछ ही घंटों का समय लगता है और सही इलाज न मिलने पर अगले 48 घंटों में मौत भी हो सकती है।

इम्युनिटी कमजोर होने के कारण इस बीमारी का अधिक खतरा 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में है।

इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह बीमारी व्यक्ति को ज्यादा समय नहीं देती है।

कैसे कर सकते हैं बचाव?

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारी है। इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए हाइजीन का खास ध्यान रखना जरूरी है।

बचाव के लिए बाहर से आने के बाद हाथ-पैरों को साबुन से कम से कम दो मिनट तक धोएं। ऐसे ही शौच से आने के बाद हाथों को जरूर धोएं।

इसके अलावा, खाना खाने से पहले, खाना बनाने से पहले भी हाथ धोना जरूरी है।

अपने चेहरे को गंदे हाथों से न छूएं, खासकर आंख, नाक या मुंह।

त्वचा पर कोई घाव हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करवाएं और स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कोई भी लक्षण नजर आएं, तो भी बिना देर किए डॉक्टर से जरूर मिलें।

इसके अलावा, अगर आप किसी अंतर्राष्ट्रीय सफर पर जा रहे हैं, तो भी मॉनिटरिंग और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें।

जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव?

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारी है। इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए हाइजीन का खास ध्यान रखना जरूरी है।

बचाव के लिए बाहर से आने के बाद हाथ-पैरों को साबुन से कम से कम दो मिनट तक धोएं।

ऐसे ही शौच से आने के बाद हाथों को जरूर धोएं। इसके अलावा, खाना खाने से पहले, खाना बनाने से पहले भी हाथ धोना जरूरी है।

अपने चेहरे को गंदे हाथों से न छूएं, खासकर आंख, नाक या मुंह। त्वचा पर कोई घाव हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करवाएं और स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कोई भी लक्षण नजर आएं, तो भी बिना देर किए डॉक्टर से जरूर मिलें।

इसके अलावा, अगर आप किसी अंतर्राष्ट्रीय सफर पर जा रहे हैं, तो भी मॉनिटरिंग और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें।

 

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