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अगर यह बीमारी यहां से बाहर गई तो दुनिया में मचा सकती है तबाही

नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे इस बीमारी के बारे..युगांडा और केन्या समेत कई अफ्रीकी देशों में इन दिनों एमपॉक्स का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यहां एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस पर चिंता जाहिर की है। साथ ही वह इसे बीमारी इंटरनेशनल …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 10 Aug, 2024
अगर यह बीमारी यहां से बाहर गई तो दुनिया में मचा सकती है तबाही

नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे इस बीमारी के बारे...युगांडा और केन्या समेत कई अफ्रीकी देशों में इन दिनों एमपॉक्स का प्रकोप देखने को मिल रहा है।

यहां एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस पर चिंता जाहिर की है। साथ ही वह इसे बीमारी इंटरनेशनल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने पर विचार कर रहे हैं।

ऐसे में इस बीमारी के बचाव ही इसका इलाज है। जानते हैं इससे जुड़ी जानकारी। अफ्रीकी देशों में इन दिनों एमपॉक्स का कहर देखने को मिल रहा है।

अकेडमिक जर्नल साइंस ने अफ्रीकी देशों में इस वायरस फैलने को लेकर चेतावनी दी है। सबसे पहले रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में इस वायरस का मामला सामने आया था, जिसके बाद एमपॉक्स वायरस युगांडा और केन्या तक फैल गया।

ऐसे में अब आशंका है कि यह पूरे महाद्वीप में फैल सकता है। ऐसे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसके प्रकोप को देखते हुए बड़े संकट पर अपनी चिंता जाहिर की है।

इतना ही नहीं मौजूद हालात को देखते हुए WHO की तरफ से इसे इंटरनेशनल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किए जाने की संभावना है।

इस बारे में एक पोस्ट में WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस कहा कि इस सिलसिले में वह एक इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन इमरजेंसी कमेटी बनाने पर विचार कर रहे हैं, जो वह तय करेगी कि इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की जरूरत है या नहीं।

जानकारी  के मुताबिक एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था, एक दुर्लभ बीमारी है, जो चेचक यानी smallpox की तरह होता है।

यह वायरस के कारण फैलती है और यह ज्यादातर अफ्रीकी क्षेत्रों में पाई जाती है।

हालांकि, दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसके मामले देखने को मिलते हैं। एमपॉक्स का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है।

इस वायरस की चपेट के बाद इसके लक्षण विकसित होने में कई दिनों से लेकर कुछ हफ्ते तक का समय लग सकता है।

एमपॉक्स से पीड़ित ज्यादातर लोग 2-4 हफ्ते के अंदर ठीक हो जाते हैं। ऐसे में इसके लक्षणों से राहत पाने और दूसरों को संक्रमित होने से रोकने के लिए निम्न चीजें करनी चाहिए।

जब तक संभव हो तो घर पर और अपने कमरे में ही रहें।

हाथों को बार-बार साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ करें।

जब तक आपके दाने ठीक न हो जाएं तब तक मास्क पहनें और अन्य लोगों के आसपास रहने पर दानों को ढंककर रखें।

त्वचा को सूखा और अगर आप अकेले हैं, तो इसे खुला रखें।

उन चीजों को छूने से बचें, जो किसी और के संपर्क में आ सकती है।

मुंह में घावों से राहत पाने के लिए खारे पानी का कुल्ला करें।

शरीर के घावों के लिए सिट्ज बाथ या बेकिंग सोडा या एप्सम साल्ट से हॉट शावर लें।

एमपॉक्स के लक्षणों में निम्न शामिल हैं  

रैश, बुखार, थकान, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द , लिम्फ नोड्स में सूजन। 

इसके अलावा इस बीमारी में चपटे, लाल धब्बों के रूप में दाने भी नजर आ सकते हैं, जो दर्दनाक हो सकते हैं। यह दाने बाद में फफोले में बदल जाते हैं, जिनमें पस भर जाता है।

हालांकि, कुछ समय बाद यह छाले पपड़ी बनकर गिर जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में दो से चार हफ्ते लग सकते हैं। इसके अलावा आपके मुंह, चेहरे, हाथ, पैर, लिंग, वजाइना या एनस पर भी घाव हो सकते हैं।

WHO के मुताबिक एमपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक कई तरीकों से फैल सकता है। यह वायरस संक्रामक त्वचा या अन्य मुंह या जेनिटल्स से निकलने वाले फ्लूइड के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके फैलने के अन्य तरीकों में निम्न शामिल हैं।

  • आमने-सामने बात करना या सांस लेना। 
  • स्किन से स्किन का संपर्क । 
  • होंठों या त्वचा पर किस करने से। 
  • रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स। 

 

 

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