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भारतीय सेना मधुमक्खियों से कराती है ये मिशन

भारतीय सेना मधुमक्खियों से कराती है ये मिशन : कंबोडिया की सेना चूहे पालती है. यूक्रेन की सेना भी उन्हें रिक्रूट करती है. बेल्जियम से लेकर दुनिया के कई देश इन अफ्रीकी चूहों को सेना में शामिल करते हैं. इजरायल में चूहों से एयरपोर्ट पर खास काम कराते हैं. तो …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 02 Jun, 2025
भारतीय सेना मधुमक्खियों से कराती है ये मिशन

भारतीय सेना मधुमक्खियों से कराती है ये मिशन : कंबोडिया की सेना चूहे पालती है. यूक्रेन की सेना भी उन्हें रिक्रूट करती है. बेल्जियम से लेकर दुनिया के कई देश इन अफ्रीकी चूहों को सेना में शामिल करते हैं. इजरायल में चूहों से एयरपोर्ट पर खास काम कराते हैं. तो भारत के अर्द्ध सैन्य बल मधुमक्खियों को ट्रेंड करके उनसे घुसपैठियों को दूर रखने का खास टास्क कराते हैं. जी हाँ खोजी रिपोर्ट में आज बात चूहों और मधुमक्खियों की करते हैं।

क्या आपको मालूम है कि कई देशों की सेनाओं में शामिल किए जाने वाले ये चूहे आखिर करते क्या हैं. क्यों सेना में इनकी डिमांड बढ़ रही है.  इन्हें किस काम के लिए ट्रेंड किया जाता है. चलिए हम आपको बताते हैं कि ये क्या काम करते हैं. किसलिए ट्रेंड किए जाते हैं. दरअसल ये चूहे विस्फोटकों और लैंडमाइन्स का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं. जिस चूहे को इस काम में सबसे बेहतर माना जाता है, उसे अफ्रीकी विशाल पाउच चूहे के रूप में जानते हैं. अंग्रेजी में इन्हें अफ्रीकन जाएंट पाउच्ड रैट्स  कहते हैं. इन्हें “हेरोरैट्स”  भी कहा जाता  है।

चूहे तुरंत विस्फोटक सूंध लेते हैं

दरअसल ट्रेंड किए गए ये चूहे अपनी तेज सूंघने की क्षमता से टीएनटी जैसे जैसे विस्फोटक पदार्थों को ढूंढ लेते हैं. इतने हल्के होते हैं कि लैंडमाइन्स पर चलने से विस्फोट नहीं होता.  ये बताते हैं कि माइंस कैसी हैं, इनसे कोई खतरा है या नहीं. चूहे माइन डिटेक्शन में काफी तेज पाए गए हैं.अफ्रीकन जाएंट पाउच्ड रैट 30 मिनट में टेनिस कोर्ट के आकार के क्षेत्र को स्कैन कर सकता है, जबकि इंसान अगर यही काम करे तो कई दिन लग जाएंगे. कंबोडिया, मोज़ाम्बिक, अंगोला जैसे युद्धग्रस्त देशों में बारूदी सुरंगें आज भी एक बड़ा खतरा हैं. इनका पता लगाने के लिए इन देशों में अफ्रीकी विशाल थैलीदार चूहों यानि गैंबियन पाउच्ड रेट्स  को प्रशिक्षित किया जाता है।

भारत में सेना द्वारा मधुमक्खियों का इस्तेमाल अवैध घुसपैठ रोकने में किया जा रहा है. आप चकित होंगे ऐसा कैसे होता होगा. भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीमा सुरक्षा बल ने अवैध घुसपैठ और तस्करी को रोकने के लिए एक अनोखी रणनीति अपनाई है. BSF की 32वीं बटालियन ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में सीमा पर ‘एपियरी’ (मधुमक्खी पालन के डिब्बे) fence पर टांगने शुरू किये हैं. इन डिब्बों में मधुमक्खियों के छत्ते होते हैं, जिससे सीमा के उस हिस्से से गुजरने की कोशिश करने वाले घुसपैठिए और तस्कर डरने लगे हैं, क्योंकि मधुमक्खियां तुरंत उन पर हमला कर देती हैं. उनके डंक से वो डरने लगे हैं।

मधुमक्खी पालन के डिब्बे कंटीली बाड़ के पास या उन पर टांगे जाते हैं. आसपास फूलदार पौधे लगाए जाते हैं ताकि मधुमक्खियों को प्राकृतिक आवास और भोजन मिलता रहे. जब कोई इन तारों को काटकर घुसने की कोशिश करता है, तो मधुमक्खियां हमला कर देती हैं, जिससे घुसपैठिए और तस्कर डरकर दूर रहते हैं. BSF जवानों को बाकायदा मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग दी जा रही है।

इजरायली सेना ने इन चूहों को हवाई अड्डों पर विस्फोटक सूंघने के लिए प्रशिक्षित किया है. इज़राइल और कुछ अन्य देशों की सुरक्षा एजेंसियां चूहों को हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर सामान की जांच के लिए उपयोग करती हैं.  वैसे कुछ साल पहले ईरान ने “सूइसाइड चूहों” को प्रशिक्षित करने का दावा किया था, जो दुश्मन के बेस में घुसकर विस्फोट कर सकें. हालांकि ये दावा विवादास्पद तो रहा ही, साथ ही इसका कोई सबूत भी नहीं मिल सका.अमेरिकी नौसेना “नेवी मरीन मैमल प्रोग्राम” चलाती है, जिसमें डॉल्फ़िन और कैलिफ़ोर्निया सील को प्रशिक्षित किया जाता है. ये पानी के नीचे माइन्स और विस्फोटकों का पता लगाते हैं. रूस और कई देश तो डॉल्फिन के जरिए जासूसी कराते रहे हैं।

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