ईरान-अमेरिका का युद्ध — साज़िश या सच्चाई?” : “नमस्कार! मैं हूँ अनन्या सहगल और देख रहे है आपका अपना खोजी नारद जहाँ हर रहस्य का होता है खुलासा और आज हम उठाने जा रहे हैं परदे से वो परदा, जिसके पीछे छिपा है एक ऐसा ‘जंग’ का खेल, जो असली कम और नाटकीय ज़्यादा लगता है। सवाल ये नहीं कि ईरान और अमेरिका की जंग क्यों हुई.. सवाल ये है कि क्या ये जंग वाकई में जंग थी.. या सिर्फ़ एक हथियारों का ‘शोकेस’? साजिशों से भरी इस स्क्रिप्ट को जानिए, समझिए और खुद तय कीजिए — क्या दुनिया एक और वर्ल्ड वॉर के मुहाने पर है.. या फिर ये सब एक ‘military marketing’ का कमाल है।” शुरुआत होती है ईरान से.. जहाँ पिछले दिनों अमेरिका ने दावा किया कि उसने ईरानी ठिकानों पर हमला किया है।
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लेकिन दिलचस्प बात ये है दोस्तों — जैसे ही अमेरिका की कार्रवाई की खबर आई, उससे चंद घंटे पहले ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों से यूरेनियम को ‘हटा’ दिया था। हां, आपने बिल्कुल सही सुना — न कोई नुक़सान, न कोई मौतें, सिर्फ़ कुछ धमाके, और पूरा मीडिया बूम! अब सवाल उठता है क्या अमेरिका को पहले से पता था कि ईरान अपने sites खाली करने वाला है? और अगर पता था.. तो फिर हमला करने की टाइमिंग इतनी सटीक कैसे? ईरान ने जवाबी कार्रवाई में, अमेरिकी बेस — खासकर क़तर के अल-उदीद एयरबेस — को टारगेट करने का दावा किया। लेकिन हर बार जैसे ही हमला होता है, यूएस सेंटकॉम पहले से सतर्क होता है।
सारे सैनिक सुरक्षित, सिस्टम चालू और सब कुछ पहले जैसा! क्या ये महज़ इत्तेफाक़ है या फिर दोनों तरफ़ से Scripted ‘missile ballet’?अब ज़रा सोचिए — जैसे ही ईरान ने स्ट्राइक की, अगले दिन अमेरिका ने अपना B-2 स्टील्थ बॉम्बर सबके सामने मीडिया में ला खड़ा किया। दुनिया की सबसे ख़तरनाक और महंगी जंगी मशीन.. जिसकी कीमत है $2 बिलियन प्रति यूनिट। सवाल: क्या ईरान की स्ट्राइक के तुरंत बाद B-2 को सामने लाना महज़ इत्तेफाक़ था? या फिर ये एक masterstroke था ताकि हथियारों के सौदागर अपने सौदे और तेज़ी से निपटा सकें?
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अब आइए नज़र डालते हैं मार्केट पर। पिछले एक महीने में अमेरिकी डिफेन्स कंपनियों — Raytheon, Lockheed Martin, Northrop Grumman — के शेयर आसमान छू रहे हैं। हर मिसाइल, हर हमला, हर खतरे की आहट.. सीधे defense कंपनियों के मुनाफ़े में तब्दील हो रही है। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब कुछ बहुत ‘बिज़नेस’ जैसा लग रहा है? एक ‘controlled chaos’, जिसे ‘बाजार’ बहुत अच्छे से समझता है? अब आते हैं सबसे अहम बिंदु पर — Strait of Hormuz। दुनिया के एक तिहाई तेल का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। और हर बार जब भी ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता है — ईरान एक ही लाइन बोलता है: “हम Hormuz Strait को ब्लॉक कर देंगे।” लेकिन सच्चाई ये है — आज तक न ब्लॉक किया, न करने की हिम्मत दिखाई।
क्यों? क्योंकि जैसे ही Hormuz बंद होगा — दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल जाएगी, तेल की क़ीमतें आसमान छू लेंगी, और सबसे ज़्यादा नुक़सान खुद ईरान को ही होगा। तो क्या ये ‘ब्लॉक कर देंगे’ की लाइन महज़ एक स्क्रिप्टेड डायलॉग है? क्या ईरान और अमेरिका के बीच वाकई में कोई जंग हो रही है? या फिर ये सब एक ‘military theater’ है — जहाँ एक तरफ़ जंग के नाम पर राष्ट्रवाद भड़काया जाता है, दूसरी तरफ़ हथियारों का व्यापार होता है, और तीसरी तरफ़ शेयर बाज़ार में मुनाफ़ा बनाया जाता है? क्या ये वही जंग है जिसमें गोली कम चलती है, कैमरे ज़्यादा चलते हैं? अब जब इस पूरे ‘conflict’ की परतें जब खुलती है तो अंदर से निकलती है एक ‘geopolitical chessboard’, जहाँ हर चाल पहले से तय होती है। सैनिकों की जान से ज़्यादा, इसमें दांव पर होते हैं अरबों डॉलर के सौदे।
हर मिसाइल, हर वीडियो फुटेज, हर प्रेस कांफ्रेंस — किसी न किसी मकसद को पूरा करने के लिए की जाती है।और इस पूरे खेल में आम जनता को सिर्फ़ डर, धमाके और सनसनी परोसी जाती है।क्या ये जंग वाकई जंग थी या फिर एक ‘scripted’ geopolitical drama.. एक नया एपिसोड.. इस बार मिडल ईस्ट के मंच से तोह बने रहे खोजी नारद के साथ और अगले एपिसोड में फिर हाज़िर होंगी एक नए रहस्य, एक नई साजिश और एक और पर्दाफाश के साथ।तब तक सतर्क रहिए.. क्योंकि जो दिख रहा है, वो ही सच हो — ज़रूरी नहीं।