आज से शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, पहला जत्था रवाना : तीन वर्षों के अंतराल के बाद, बहुप्रतीक्षित कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर आज से श्रद्धालुओं के लिए शुरू हो गई है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह पवित्र यात्रा 30 जून 2025 से दोबारा शुरू की जा रही है, जो लाखों श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है. आखिरी बार यह यात्रा 2019 में आयोजित हुई थी. इसके बाद कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद के कारण यह यात्रा 2020 से 2024 तक स्थगित रही.
दो मार्गों से होगी यात्रा
यात्रा को दो पारंपरिक मार्गों से शुरू किया जा रहा है।
लिपुलेख दर्रा, उत्तराखंड: यह मार्ग प्राचीन समय से कैलाश मानसरोवर यात्रा का पारंपरिक रास्ता रहा है।
नाथू ला दर्रा, सिक्किम: यह मार्ग अपेक्षाकृत नया है, लेकिन सुगमता और बुनियादी ढांचे की दृष्टि से बहुत सुविधाजनक माना जाता है।
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सुरक्षा और चिकित्सा सुविधा में बड़ा सुधार
सरकार की ओर से इस वर्ष यात्रा को और अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए कई नई व्यवस्थाएं की गई हैं।
हर यात्रा दल के साथ चिकित्सा दल और आपातकालीन सुविधा की व्यवस्था की गई है।
दुर्गम इलाकों में हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सपोर्ट और ऑक्सीजन उपलब्ध कराया गया है।
आपदा प्रबंधन और रेस्क्यू टीमों को भी तैनात किया गया है।
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श्रद्धालुओं में उत्साह
कोविड-19 महामारी और उसके बाद के भौगोलिक कारणों के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा वर्ष 2020 से स्थगित थी. अब जब यात्रा फिर से शुरू हो रही है, तो देशभर के श्रद्धालुओं में गहरी खुशी और उत्साह देखा जा रहा है. यात्रा की पवित्रता और आध्यात्मिक महत्व के चलते यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक शांति की खोज भी मानी जाती है।
प्रतीकात्मक महत्व
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है और मानसरोवर झील को मोक्षदायिनी कहा जाता है. इस यात्रा को करने से पुण्य और आत्मिक शुद्धि की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि यह यात्रा हिंदू, बौद्ध, जैन और तिब्बती श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः प्रारंभ होना न केवल एक धार्मिक घटना है, बल्कि यह उस आध्यात्मिक विश्वास का पुनर्स्थापन भी है, जो वर्षों से इस पवित्र मार्ग से जुड़ा रहा है. सरकार द्वारा की गई नई व्यवस्थाएं इस यात्रा को अब और भी सुरक्षित, सुलभ और सुविधाजनक बनाएंगी।