सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, चार राज्यों के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है। मामला है – राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स (State Pollution Control Boards) में भारी रिक्तियों का। अदालत ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए इन राज्यों के मुख्य सचिवों को अवमानना (Contempt of Court) नोटिस जारी किया है। अदालत ने सवाल किया है कि आखिर क्यों इतने महत्वपूर्ण निकायों में पद खाली पड़े हैं और क्यों समय रहते इन पर नियुक्तियाँ नहीं की गईं।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में 55% पद खाली
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष तौर पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। अदालत को सूचित किया गया कि DPCC में लगभग 55 प्रतिशत पद रिक्त हैं। अदालत ने इसे ‘गंभीर लापरवाही’ करार दिया और कहा कि जब इतने बड़े स्तर पर खाली पद रहेंगे, तो कोई भी संस्था अपने दायित्वों को ठीक से कैसे निभा सकती है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खत्म होने की कगार पर
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि “यह देखकर दुख होता है कि प्रदूषण नियंत्रण जैसे संवेदनशील और आवश्यक निकायों में इतनी उपेक्षा हो रही है। अगर यही हाल रहा, तो ये बोर्ड्स पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएंगे।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक संवैधानिक जिम्मेदारी की अनदेखी है।
अवमानना नोटिस और जवाब की माँग
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को चार हफ्तों के अंदर व्यक्तिगत हलफनामा देकर जवाब देने का आदेश दिया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। अदालत ने यह भी पूछा कि अब तक नियुक्तियों में देरी क्यों हुई और इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकारों की ओर से तर्क अस्वीकार
राज्य सरकारों की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही पदों को भरा जाएगा। लेकिन कोर्ट ने इस पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि “प्रक्रिया की बात सालों से सुन रहे हैं। अब वक्त है परिणाम दिखाने का।”
पर्यावरणीय संकट और जवाबदेही
भारत के कई बड़े शहर पहले से ही वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति से जूझ रहे हैं। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर संस्थाएं खाली पड़ी रहेंगी तो कैसे जनता की रक्षा होगी और कैसे नीति कार्यान्वयन होगा?