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उत्तरी हिमालय में 200 बार डोली धरती

उत्तरी हिमालय में 200 बार डोली धरती : उत्तरी हिमालय की धरती 27 वर्ष में हर साल तकरीबन 200 बार डोली, इसमें दो से तीन बार चार से अधिक मैग्नीट्यूट भूकंप के झटके लगे, जिनमें हल्के भूकंप की संख्या अधिक है, इनकी गहराई 10 से 20 किमी अंदर थी, यह …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 04 Jun, 2025
उत्तरी हिमालय में 200 बार डोली धरती

उत्तरी हिमालय में 200 बार डोली धरती : उत्तरी हिमालय की धरती 27 वर्ष में हर साल तकरीबन 200 बार डोली, इसमें दो से तीन बार चार से अधिक मैग्नीट्यूट भूकंप के झटके लगे, जिनमें हल्के भूकंप की संख्या अधिक है, इनकी गहराई 10 से 20 किमी अंदर थी, यह खुलासा कुमाऊं विवि के जियोलॉजी विभाग के डॉ. संतोष जोशी के शोध में हुआ है।डॉ. संतोष जोशी के अनुसार उन्होंने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से ”एक्टिव टेक्टोनिक्स ऑफ गढ़वाल-कुमाऊं हिमालया” विषय पर शोध किया, इसके तहत 1991 से 2018 के बीच के भूकंप के आंकड़े एकत्र किए, इस दौरान दो से चार मैग्नीट्यूट और उससे अधिक के करीब 4200 भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए गए, कुछ वर्ष पूर्व पश्चिमी नेपाल में छह मैग्नीट्यूट का एक भूकंप दर्ज किया गया है।डॉ. जोशी के अनुसार 2 से कम तीव्रता के भूकंप और अधिक होते लेकिन वाहनों के आवागमन के कंपन की वजह से इनको आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया।

इन क्षेत्रों में किया गया शोध

उत्तरी हिमालय क्षेत्र के धारचूला, चमोली, कपकोट, मुनस्यारी, रुद्रप्रयाग और भारत की सीमा से सटे वेस्टर्न नेपाल के भूकंप के आंकड़े जुटाए गए हैं, इस क्षेत्र को मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) नाम दिया गया है। इसको हिमालयन सिस्मिक बेल्ट भी कहा गया है।

प्रदेश में 11 स्थानों पर लगीं हैं सिस्मोग्राफ मशीन

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए प्रदेश में 11 स्थानों पर सिस्मोग्राफ मशीनें लगाई गईं हैं, मासी (चौखुटिया), देवाल, थराली (चमोली), कपकोट (बागेश्वर), मुनस्यारी, जौलजीबी, पांगला, पिथौरागढ़, चंपावत, रानीखेत और नैनीताल में मशीनें लगीं हैं, पहले यहां पुरानी तकनीक की मशीनें थीं, अब इन्हें उन्नत किया गया है।

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