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“अम्मा की अटैची” से निकले IPS प्रदीप राय का सफरनामा

“अम्मा की अटैची” से निकले IPS प्रदीप राय का सफरनामा : आप किसी भी राज्य , शहर , व्यवसाय और विचार के हों ये लेख आपको एक कामयाब व्यक्तित्व बंनने में वैसे ही कारगर साबित होगा जैसे मूर्छित लखन को संजीवनी ने खोयी , सोइ चेतना लौटा दी थी। अल्मोड़ा …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 26 Mar, 2025
“अम्मा की अटैची” से निकले IPS प्रदीप राय का सफरनामा

“अम्मा की अटैची” से निकले IPS प्रदीप राय का सफरनामा :  आप किसी भी राज्य , शहर , व्यवसाय और विचार के हों ये लेख आपको एक कामयाब व्यक्तित्व बंनने में वैसे ही कारगर साबित होगा जैसे मूर्छित लखन को संजीवनी ने खोयी , सोइ चेतना लौटा दी थी। अल्मोड़ा जैसे मशहूर टूरिस्ट प्लेस पर बीते दिनों पत्रकार आशीष की शानदार वार्ता आईपीएस अफसर प्रदीप राय से हुई। वहीँ इलाहाबादी ठसक , ग़ाज़ीपुरिया हंसी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी परिसर जैसी लम्बे लम्बे बतियाने की खूबसूरत अदा , जानता था गंगा किनारे वाला शख़्स पहाड़ के टेढ़े मेंढे रास्तों पर भी वैसे ही धमकेगा जैसा गालिबन यूपी के मिज़ाज़ में शायरों , कवियों ने बखाना है। इलाहाबादी माहौल बना तो बातें कुछ यूँ निकली जो आपके लिए रोचक और प्रेरक दोनों साबित होगी।

आज आपाधापी के इस दौर में युवाओं के भविष्य के लिए यह पोस्ट प्रेरणा की श्रोत है जो कि हालातों से हार मान लेते हैं। जो सिविल सेवा, पीसीएस, पीसीएस-जे जैसी परीक्षाओं में एक-दो बार असफल होने के बाद आगे बढ़ने का इरादा छोड़ देते हैं। हम आपके सामने आईपीएस प्रदीप राय की यह फेसबुक पोस्ट हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं। हो सकता है, उनकी कहानी आपकी कामयाबी में प्रेरणा की श्रोत बन जाए।

जिस पृष्ठभूमि से था, वहां डॉक्टर और इंजीनियर बनना ही सबसे बड़ा लक्ष्य होता था.. गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी करने के बाद अपने बड़े पिताजी स्व० श्री केशव राय जी और मेरी माता जी स्व० प्रतिमा राय की प्रेरणा और विश्वास से विभिन्न आशंकाओं के साथ प्रयागराज को चला…बायोलॉजी का विद्यार्थी था इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र वैसे ही घोंटता था जैसे बच्चा डिस्प्रिन घोंटने का प्रयास कर रहा हो और टेबलेट तालू से चिपक कर मुँह कसैला कर दे रही हो।

प्रयाग'(पूर्व में इलाहाबाद) का प्रत्येक व्यक्ति आपको प्रतियोगिता में सफल होने के लिए मार्गदर्शन देता है…यहां तक कि गुड्डू नाई, पटेल अखबार वाले, कटरा के गुड्डू मैगजीन वाले, पप्पू चाय वाला, ललित सोनकर जैसे मोहल्ले के बाहुबली भी.. बॉटनी, जूलॉजी विषय से संघर्ष करते हुए..LL.B.में एडमिशन ले लिया। शौकिया क्लास करने भी चला गया..पहला क्लास Dr LR Singh का LAW की उत्पत्ति और महत्व..उस पहले लेक्चर ने इस विषय के प्रति गहन उत्सुकता पैदा कर दी..अगला क्लास Dr LM singh का IPC का गजब का जादू जैसे कोई जासूसी फिल्म देख रहे हों..फिर AK sinha सर द्वारा Law ऑफ cotract और कैलाश राय द्वारा Constittution of India। लगता था सीधे अम्बेडकर जी ही पढ़ा रहे हों…फिर तो नशा हो गया..’बॉटनी’ की जगह विषय हो गया ‘LAW’ और फर्स्ट ईयर में ही प्रीलिम्स भी निकल गया..फिर तो प्रीलिम्स कभी भी फेल नहीं हुआ और लगातार इंटरव्यू देने का मौका मिला।

वक्त को तो और मांजना था। लिहाजा कठिनाइयों का दौर भी चालू हो गया ..वह भी ऐसे, जैसे, गहन आपदा ही आ रखी हो। किसी न किसी बहाने घर में 5 लोगों की मृत्यु हुई..बाबा, चाचा, चाची, बाबूजी और बाद में अम्मा…बाबूजी और अम्मा कैंसर से गुजरे..लगता था कुछ नहीं बचा ..जो बाकी है वो भी नहीं बचेगा। मानसिक आघात से बचने में पुस्तकों और मेडिटेशन का बहुत सहयोग मिला। अब हारने के लिए कुछ तो था नहीं .. पहले लगता था कि LL.B. पूरी करने के पहले ही सेलेक्शन हो जाएगा..परंतु सामण्ड, विन्फील्ड, रोस्को पाउंड की आत्मा मेरे ऊपर मेहरबान थी और LL. M. की डिग्री भी हासिल हो गयी।

वर्ष 2004 के अंत मे SEBI में लॉ ऑफिसर बना …वह परिणाम बहुत बड़ा सहारा था। 01 जनवरी 2005 को दिल्ली में जॉइन किया और इंडक्शन के लिए मुम्बई गया तो सावित्री नाम की एक लड़की की पारिवारिक परेशानी को देखते हुए म्यूच्यूअल ट्रांसफर ले लिया।..सावित्री इस समय दिल्ली में ADJ हैं..मुम्बई में प्रवीण त्रिवेदी सर ने प्रत्येक इंटरव्यू में शामिल होने के लिए मुझे खूब मौका दिया..वहीं से UP PCS J 2003 ,UP PCS 2002 तथा UKPCS 2002 का इंटरव्यू दिया।

PCS J में इलाहाबाद के कई साथियों का चयन हुआ साथ ही SEBI के साथी रविन्द्र सिंह भी चयनित हुए जो इस समय UP में ADJ हैं..उस इंटरव्यू में मैं आखिरी दिन , आखिरी अभ्यर्थी था..पता नहीं क्या जल्दी थी बोर्ड को कि मेरा इंटरव्यू खड़े-खड़े ही लेकर चलता कर दिया गया..ईश्वर की मर्जी कौन समझ सकता है। वहीं से मैं हरिद्वार आया और संभवतः 21 मई 2005 को मेरा इंटरव्यू हुआ..09 जून 2005 को ज्ञात हुआ कि PPS में 9 वीं पोजीशन थी।

पहला बैच था वरिष्ठ अधिकारी गण भी हमलोगों को खूब माँजना चाहते थे। विशेषकर मातृस्वरूपिणी DGP कंचन चौधरी मैडम, सुभाष जोशी सर और देव तुल्य एके जोशी सर…खूब ट्रेनिंग हुई पंजाब पुलिस अकेडमी, ग्रे हाउंड, NPA, SSB, ITBP..इतना एक्सपोजर तो किसी भी राज्य पुलिस के बैच को यहां तक कि उत्तराखण्ड के बाद के बैच को शायद ही मिला हो।

फिर उधमसिंह नगर में तत्कालीन एसएसपी अमित सिन्हा सर के सानिध्य में, उत्तरकाशी में अनन्त चौहान सर, हरिद्वार में मुरुगेशन सर, संजय गुंज्याल सर, केवल खुराना सर, ऊधमसिंह नगर में अजय रौतेला सर, मर्तोलिया सर, अभिनव कुमार सर, पुष्पक ज्योति सर, नीलेश भरणे सर के साथ काम करने का मौका मिला… 2012 में PHQ में परम श्रद्धेय जीवन चंद्र पांडे सर, बँगयाल सर के मार्गदर्शन में कार्य किया.. वहीं से अपर पुलिस अधीक्षक का प्रोमोशन मिला और SP ट्रैफिक देहरादून के पद पर केवल खुराना सर, अजय रौतेला सर, पुष्पक ज्योति सर के साथ कार्य करने का मौका मिला।

उत्तराखंड के प्रत्येक अधिकारी बेमिसाल हैं..अन्य राज्य के समकक्ष अधिकारियों से बात करने पर ज्ञात होता है कि हमारे उत्तराखंड के अधिकारी मातहतों से किस अंतरंगता से जुड़े हैं व किस प्रकार सुख-दुख में खड़े होते हैं। यह एक मिसाल है और देवभूमि के प्रशासन की खूबसूरती भी……IPS Pradeep Rai 16 साल की राज्य पुलिस सेवा के उपरांत भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति हुई है। प्रत्येक राज्य सेवा कर्मी के लिए यह स्वप्न होता है..सौभाग्य होता है…पूर्वी उत्तरप्रदेश में लोग सामान्य बोलचाल या व्यंग या अतिश्योक्ति में बोलते हैं कि…”लागत बा आईएएस आईपीएस बनिहैं ..इनकर नखरा देखा..” आज वह दिन भी आ गया।

आभारी हूँ , माता-पिता ,और पूर्वजों का….मेरी जन्मभूमि बहादुरगंज,गाजीपुर के श्री सुखदेव प्रसाद स्मारक विद्या मंदिर, गांधी मेमोरियल इंटर कॉलेज, SSB इंटर कॉलेज अमिला,गोरखपुर विश्वविद्यालय व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समस्त गुरुजनों,मित्रों एवम सहयोगियों का..सुख-दुख और संघर्ष में साये की तरह खड़े रहने वाले अपने परिवार का.. पुलिस प्रशाशन के अपने वरिष्ठ अधिकारी गणों का जिनके मार्गदर्शन से समय समय पर चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

मेरे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गण और साथी PCS,न्यायाधीश और अन्य विभाग के अधिकारियों का..अधीनस्थों का जो मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं और नेतृत्व शैली पर विश्वास करते हैं..विशेषकर ‘कॉन्स्टेबलरी’ का..जो इस विभाग और अधिकारियों की जान है ,उन ‘फॉलोवरों’ का जो हमारा परिवार से भी ज्यादा खाने -पहनने का ख्याल रखते हैं..माननीय जनप्रतिनिधियों का जिनका सहयोग मुझे सदैव प्राप्त होता रहा है..IPS Pradeep Rai मैं दावे से कह सकता हूँ कि उत्तराखंड जैसे सरल और समझदार जनप्रतिनिधि विरले ही किसी प्रदेश के होंगे।

मीडिया के साथियों का जिन्होंने हमेशा सच्चाई को सामने रखा,आवश्यकता पड़ने पर कई बार इस प्रकार का सहयोग किया जिसका वर्णन इस प्लेटफॉर्म पर नही किया जा सकता..परन्तु जिसकी वजह से बड़ी बड़ी घटनाएं टली…सबसे ऊपर इस ‘देवभूमि’ को बारम्बार नमन कि आपने मुझे यहां की सेवा के लिए चुना…पालन -पोषण,मान-सम्मान, यश-कीर्ति सब कुछ प्रदान किया…आपने 2005 में वह ‘नींव’ दी जिस पर आज यह इमारत खड़ी हुई है।

जिस धरती की ‘पंडो की बहियों’ पर पूर्वजों के नाम लिखवाना ही श्रद्धा का प्रतीक माना जाता हो वहां स्थान-स्थान पर नाम पट्टिका लिखी गयी यह कितने परम सौभाग्य का विषय है….यात्रा जारी है..जिम्मेदारी और चुनौतियां और भी बड़ी मिलेंगी…आपके सहयोग,मार्गदर्शन और प्रेरणा की अब गुरुतर आवश्यकता पड़ेगी…मुझे पूरा विश्वास है कि वह सदैव प्राप्त होती रहेगी।

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