बंदर कर रहे हैं हनुमान जी का इंतज़ार ! : अगर आप धार्मिक यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो देवभूमि हिमाचल में शिमला ज़रूर जाइये जहाँ आपको एक विचित्र मंदिर मिलेगा जाखू मंदिर जो जाखू पहाड़ी पर स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान को समर्पित है। जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई 108 फीट है। यह प्रतिमा साल 2010 में स्थापित की गई थी। आप शिमला में कहीं से भी हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं। कहा जाता है कि जाखू मंदिर परिसर में सदियों से बंदरों के समूह रहते आ रहे हैं।
जाखू हनुमान मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
जाखू मंदिर घने देवदार के पेड़ों के बीच हनुमान जी का एक ऐतिहासिक मंदिर है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तो उन्होंने जाखू मंदिर में विश्राम किया था। बूटी के लिए जाते समय बजरंगबली ने शिमला की इसी पहाड़ी पर विश्राम किया। कुछ देर आराम करने के बाद हनुमान जी अपने साथियों को यहीं छोड़कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े। ऐसा माना जाता है कि उनके वानर साथी यह सोचकर कि बजरंगबली उनसे नाराज हैं और अकेले चले गए हैं, यहीं पहाड़ी पर उनके लौटने का इंतजार करते रहे।
आज भी यहां बड़ी संख्या में बंदर पाए जाते हैं
इस पहाड़ी का नाम ‘जाखू’ है। किम्बदंती के अनुसार ‘जाखू’ नाम ऋषि याकू के नाम पर रखा गया था। हनुमान ने ऋषि को प्रणाम किया और संजीवनी बूटी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की और ऋषि को वचन दिया कि संजीवनी लाते समय वह ऋषि के आश्रम में अवश्य जायेंगे। हनुमान ने अपना रास्ता रोककर ‘कालनेमि’ नामक राक्षस से युद्ध किया और उसे परास्त किया। इस भागदौड़ और समय की कमी के कारण हनुमान ऋषि के आश्रम में नहीं जा सके। हनुमान याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अचानक प्रकट होकर अपनी मूर्ति बनाई और गायब हो गए।
ऋषि याकू ने हनुमान की याद में मंदिर बनवाया
इस मंदिर में जहां हनुमानजी ने अपने चरण रखे थे, वह चरण संगमरमर के पत्थर से बनाए गए हैं। ऋषि ने वरदान दिया कि जब तक यह पहाड़ी मौजूद रहेगी तब तक बंदरों के देवता हनुमान की लोग पूजा करते रहेंगे।जाखू हनुमान मंदिर तक पैदल, घोड़े, टैक्सी या रोपवे द्वारा पहुंचा जा सकता है। शिमला अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है; इसके अलावा, कई निजी वाहन सीधे मंदिर तक आते हैं। कालका रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है जो शिमला से 38 किमी दूर है। मंदिरों के शीर्ष तक पहुंचने के 2 रास्ते हैं: रोपवे द्वारा और कैब द्वारा। रोपवे का समय: सुबह 9.30 बजे से शाम 6.00 बजे तक है।