राजतिलक का रहस्य और एक रिवाज़ : राजस्थान के उदयपुर में इस समय राजघराने की लड़ाई सड़क पर आ गई है. ये तनाव की स्थिति फिलहाल दो राजपरिवारों की वजह से है. जहां महाराणा प्रताप के वंशजों में राजतिलक की रस्म को लेकर बवाल शुरू हो गया है. इस बीच दो राजघराने एकदूसरे के आमने सामने खड़े हो गए. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये राजतिलक की रस्म क्या है और इसे लेकर दो राजघरानों में विवाद क्यों पनपा।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
उदयपुर में महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच राजतिलक की रस्म को लेकर बवाल मच गया. हाल ही में पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह को उनके समर्थकों ने मेवाड़ राजवंश का नया महाराणा मान लिया था. इसके बाद चितौड़ स्थित फतेह निवास महल में सोमवार को एक भव्य राजतिलक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से पूर्व राजघरानों के सदस्य और जागीरदार शामिल हुए थे।
हालांकि, देर शाम राजतिलक की रस्म के दौरान विवाद हो गया. महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपराओं का पालन रोकने की कोशिश. इसके विरोध में उन्होंने उदयपुर के सिटी पैलेस (विशेषकर रंगनिवास और जगदीश चौक) के दरवाजे बंद कर दिए, ताकि राजतिलक की रस्म आगे न बढ़े. इस घटना ने मेवाड़ के इतिहास और परंपराओं को लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है और इससे क्षेत्रीय राजनीति और राजवंशों के बीच गहरे मतभेदों का पता चलता है।
क्या है राजतिलक की रस्म?
राजतिलक की रस्म का महत्व भारतीय इतिहास में बहुत गहरा है. यह रस्म न केवल एक राजकुमार को राजा के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता देती है, बल्कि यह धार्मिक अनुष्ठान भी होता है, जो राजा को आधिकारिक तौर पर ईश्वर का प्रतिनिधि मानता है.राजतिलक की प्रक्रिया में अक्सर ताज पहनाना, तिलक लगाना, शाही ध्वज को फहराना और शासक को राजधर्म की शपथ दिलवाना शामिल होता है. यह एक धार्मिक पूजा और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा होता है, जिसमें राजा को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाता है. इस रस्म में पुजारियों, राजपुरोहितों और कई खास लोग मौजूद रहते हैं।