हिंदुत्व की पिच पर होगा 2027 का सियासी मैच ! : बीते कुछ समय की बात करें तो मौजूदा सरकार हिंदुत्व , यूसीसी , मज़ारों पर अतिक्रमण मुक्त अभियान , मदरसों की जांच और अब ऑपरेशन कालनेमि चलाकर एक सॉफ्ट हिंदुत्व की इमेज बनाने में सफल रही है। बीते 2024 के आम चुनाव में देश भर में जिस तरह से मुख्यमंत्री धामी को पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाकर वोट बैंक मजबूत किया है उसके बाद खुद सीएम धामी अपनी इमेज राष्ट्रीय लीडर के रूप में बनाते नज़र आये हैं। अब बीते कुछ महीनों की बात करें तो जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकातों की रफ़्तार बढ़ी है और प्रदेश सरकार ने फैसले लिए हैं वो आने वाले 2027 विधान सभा चुनाव की दिशा को काफी हद तक साफ़ कर रहा है।
यह ख़बर भी पढ़ें :- नाशपाती खाने के बेमिसाल फायदे
यूपी में योगी तो देवभूमि में धामी बने हिंदुत्व का ब्रांड
बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट शब्दों में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि धार्मिक भेष में जनता को ठगने वाले, विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बनाने वाले फर्जी साधु-संतों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। सीएम धामी का साफ तौर पर कहना है कि आस्था और सुरक्षा दोनों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और इस पर कार्य प्रारंभ कर दिया है। वहीँ देहरादून के सीनियर सिटिज़न कहते हैं कि अगर वाकई फ़र्ज़ी बाबाओं को पकड़ना है तो सरकार को हरिद्वार ऋषिकेश जैसे धार्मिक शहरों में फोकस करते हुए आश्रमों , अखाड़ों और मंदिरों में बाबाओं का वेरिफिकेशन करना चाहिए।
’ढोंगियों सुधर जाओ, नहीं तो पुलिस करेगी द एंड’
बीते कुछ ही दिनों में उत्तराखंड के शहरों से फ़र्ज़ी बाबाओं के अरेस्टिंग की खबरे नेशनल मीडिया की सुर्खिया बन रही है। हिंदुत्व की डगर पर लम्बे कदम बढ़ा रहे मुख्यमंत्री धामी ने कहा, जिस प्रकार त्रेता युग में असुर ’कालनेमि’ ने साधु का भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में अनेक कालनेमि सक्रिय हैं। ऐसे छद्म भेषधारियों को उजागर कर कठोर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंधित व्यक्ति यदि धार्मिक भेष का दुरुपयोग कर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करता है, तो उस पर कानून के तहत कठोरतम कार्रवाई होगी।
यह ख़बर भी पढ़ें :- सरसों का तेल और लहसुन के फायदे
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ऑपरेशन कालनेमि न केवल उत्तराखंड में आस्था के नाम पर चल रहे पाखंड पर प्रहार है, बल्कि यह संदेश भी है कि देवभूमि में अब धर्म का अपमान नहीं सहा जाएगा। जो भी कालनेमी बनेगा उसे कठोर दंड मिलेगा। उसे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। पुलिस ऐसे राक्षसों का द एंड करेगी।
बता दें, यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड में हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों के साथ-साथ पहाड़ी जनपदों में पहुंचते हैं। इस दौरान कुछ छद्म भेषधारी धार्मिक चोगा पहनकर आम जनता को ठगने का कार्य करते हैं। जिससे धार्मिक भावनाएं सीधे तौर पर आहत होती हैं। ऐसे में सीएम धामी का ‘ऑपरेशन कालनेमि’ धर्म के प्रति विश्वास को मजबूत करता है। वहीँ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये अभियान सिर्फ सड़कों पर नहीं बल्कि हरिद्वार , ऋषिकेश और अन्य धार्मिक स्थलों पर मौजूद मठों , आश्रमों , अखाड़ों और मंदिरों में भी चलाया जाना चाहिए बाबाओं का वेरिफिकेशन होना चाहिए।
सरकार और पार्टी के कालनेमि बेनकाब करे मुख्यमंत्री – कांग्रेस
इस निर्णय ने एक बार फिर 2027 चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को धार्मिक सियासत की पिच के चतुर बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित किया है जो पब्लिक डिमांड्स और देश की भावनाओं को समझते हुए पोलिटिकल शॉट्स खेल रहे हैं। कांवड़ यात्रा से पहले लिया गया यह निर्णय श्रद्धालुओं में विश्वास और सरकार की मंशा बता रहा है वहीँ विपक्षियों को सियासी बाउंसर मारने का मौका भी देता। है कांग्रेस कहती है कि भाजपा को अपने पार्टी में बैठे कालनेमियों को भी बेनकाब करना चाहिए । सोशल मीडिया पर लोग सीएम धामी के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं कुछ उत्साही लोग तो उन्हें उत्तराखंड का योगी बता रहे हैं। साथ ही फ़र्ज़ी बाबाओं को सलाह दे रहे हैं कि गलत मत करना नहीं तो अंजाम बुरा होगा।