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भारत में चुनाव प्रचार थमने का कारण और महत्व

भारत में चुनाव प्रचार थमने का कारण और महत्व : भारत के चुनाव आयोग द्वारा लागू किया गया नियम, जिसमें चुनाव प्रचार मतदान से 48 घंटे पहले थम जाता है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नियम का उद्देश्य मतदाताओं …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 22 Jan, 2025
भारत में चुनाव प्रचार थमने का कारण और महत्व

भारत में चुनाव प्रचार थमने का कारण और महत्व : भारत के चुनाव आयोग द्वारा लागू किया गया नियम, जिसमें चुनाव प्रचार मतदान से 48 घंटे पहले थम जाता है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नियम का उद्देश्य मतदाताओं को किसी भी प्रकार के दबाव, भ्रम या प्रभाव से बचाना और उन्हें स्वतंत्र रूप से मतदान करने का अवसर प्रदान करना है।

यह नियम भारत में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) के तहत लागू किया गया। इस अधिनियम की धारा 126 में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया गया है कि मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले प्रचार गतिविधियों पर रोक लगाई जाएगी।

इस प्रावधान को 1961 में संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया। इसका उद्देश्य चुनाव प्रचार के दौरान होने वाले अतिवादी प्रचार, झूठी खबरों और हिंसा को रोकना था।

इस नियम का उद्देश्य

1. मतदाताओं को सोचने का समय देना: मतदान से पहले शांतिपूर्ण माहौल में मतदाता अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्णय ले सकें।

2. आखिरी क्षण की प्रचार रणनीति पर रोक: अंतिम समय में बड़े-बड़े रैलियों, धमाकेदार विज्ञापनों, और भ्रामक प्रचार के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने से रोकना।

3. संविधान की निष्पक्षता बनाए रखना: लोकतांत्रिक प्रक्रिया को साफ-सुथरा और निष्पक्ष बनाए रखना, ताकि मतदाता किसी भी बाहरी प्रभाव से बच सकें।

4. चुनाव में हिंसा और तनाव रोकना: अत्यधिक प्रचार और राजनीतिक तनाव से अक्सर हिंसा और सामुदायिक असंतोष की स्थिति बनती थी। इस नियम ने इसे नियंत्रित करने में मदद की।

इस नियम को किसने बनाया?

इस नियम की उत्पत्ति का श्रेय भारत के संविधान निर्माताओं और चुनाव आयोग को जाता है। भारतीय लोकतंत्र को स्थिर और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से यह नियम 20वीं सदी के मध्य में लागू किया गया। इसे संसद द्वारा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के माध्यम से कानूनी मान्यता दी गई।

नियम का महत्व

1. लोकतंत्र की गरिमा बढ़ाना: लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को मजबूत करते हुए, इस नियम ने जनता के अधिकार और गरिमा की रक्षा की।

2. राजनीतिक दलों की जवाबदेही: राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी से प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित किया और भड़काऊ प्रचार सामग्री से बचने की सीख दी।

3. मतदाताओं की सुरक्षा: चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा या दबाव को कम किया गया, जिससे नागरिक बिना भय के मतदान कर सकते हैं।

इस नियम का प्रभाव और आलोचना

हालांकि इस नियम ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया है, लेकिन कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ मानते हैं।

सकारात्मक प्रभाव: यह नियम बड़े पैमाने पर सफल रहा है। राजनीतिक तनाव, फेक न्यूज, और गंदी राजनीति पर नियंत्रण लगाने में इसकी बड़ी भूमिका रही है।

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