Menu
#नैनीताल

आयुर्वेद में छिपा है मोतियाबिंद का इलाज,,जानें एक क्लिक में..

मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें लेन्स पर धुंधलापन आ जाता है। इसका समय रहते या फिर ठीक से इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। आज के मॉडर्न जमाने में कैटरेक्ट सर्जरी की मदद से ठीक किया जा सकता है। वहीं …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 25 Jun, 2024
आयुर्वेद में छिपा है मोतियाबिंद का इलाज,,जानें एक क्लिक में..

मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें लेन्स पर धुंधलापन आ जाता है। इसका समय रहते या फिर ठीक से इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

आज के मॉडर्न जमाने में कैटरेक्ट सर्जरी की मदद से ठीक किया जा सकता है। वहीं आयुर्वेद की मदद से मोतियाबिंद की रोकथाम मुमकिन है।

धीरे-धीरे अगर आपकी आंखों की रोशनी धुंधली पड़ रही है, तो यह कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है। हमारी आंखों के लेन्स का काम साफ दृष्टि देना है, लेकिन मोतियाबिंद की स्थिति में आंखों के नेचुरल लेन्स में धुंधलापन आ जाता है।

भारत में मोतियाबिंद आंखों की रोशनी जाने की अहम वजह है। WHO और नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस  द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि देश में 2.2 करोड़ से ज्यादा लोग दृष्टिहीन हैं, इनमें से 80.1% मामलों की वजह मोतियाबिंद है।

सालभर में लगभग 3.8 मिलियन लोग मोतियाबिंद के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो बैठते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि मोतियाबिंद का इलाज आज के जमाने में संभव है।

जानिए मोतियाबिंद का इलाज कैसे होता है?

मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज सर्जरी ही है। सर्जरी में डॉक्टर अपारदर्शी लेन्स को हटाकर मरीज की आंख में नया इंट्रा ऑक्युलर लेन्स लगा देते हैं।

जानकारी के अनुसार,, मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख का प्राकृतिक लेन्स धुंधला होने लगता है। आमतौर पर यह समस्या उम्र के बढ़ने के साथ शुरू होती है, लेकिन कई बार यह आंख पर लगी चोट, सर्जरी, पारिवारिक इतिहास आदि के कारण भी हो जाती है।

मोतियाबिंद का इलाज अगर वक्त रहते न किया जाए, तो धुंधलापन बढ़ता जाता है, जिससे रोशनी की किरणें लेन्स तक नहीं पहुंच पातीं और आंखों की रोशनी कमजोर होती चली जाती है।

यह आंखों से जुड़ी एक आम समस्या है, जो उम्र बढ़ने के साथ शुरू होती है। हालांकि, उम्र बढ़ने के अलावा भी इसके कई कारण हो सकते हैं ।

जाने मोतियाबिंद के लिए आयुर्वेदिक टिप्स

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक उपचार का प्राथमिक उद्देश्य बाधित शरीर की ऊर्जा को बहाल करना, ब्लड फ्लो को सामान्य करना और नेत्र संबंधी नसों और ऊतकों की लचीलापन को बढ़ाना होता है।

तेज गर्मी और तेज ठंड से बचें: लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से आंखों में सूखापन और जलन हो सकती है, तो वहीं बहुत ज्यादा ठंड से ब्लड वेसेल्स सिकुड़ सकते हैं, जिससे आंखों में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है।

आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप वाला चश्मा पहनें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और विटामिन-ए से भरपूर चीजों का सेवन करें।

स्मोकिंग से दूरी बनाएं : धूम्रपान मोतियाबिंद को और भी गंभीर बना सकता है। तंबाकू के धुएं में शामिल जहरीले केमिकल्स आंखों के लेन्स में मौजूद प्रोटीन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे आंखों में धुंधलेपन की समस्या हो सकती है।

 दवाओं का उपयोग : लंबे समय तक स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल भी मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ा देता है। स्टेरॉयड्स आंख की लेन्स संरचना में परिवर्तन का कारण बन सकता है, जिससे मोतियाबिंद के विकास को बढ़ावा मिलता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक और डॉक्टर की सलाह के बिना इस तरह की दवाओं का उपयोग न करने की सलाह देते हैं।

 नियमित जांच है जरूरी : मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने और प्रबंधन के लिए नियमित आंखों की जांच बहुत जरूरी है। इससे आंखों से जुड़ी किसी भी समस्या का समय रहते पता चल जाता है। जिससे समय पर इलाज शुरू कर इसे ठीक किया जा सकता है।

त्रिफला का उपयोग : त्रिफला, तीन फलों (आंवला, हरीतकी और बिभीतकी) से बना एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है, जो अपने अनगिनत लाभों के लिए जाना जाता है।

आंखों को धोने के लिए त्रिफला के पानी का उपयोग करने से आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि इससे आंखों का इन्फेक्शन और दूसरी परेशानियां दूर रहती हैं और मोतियाबिंद का खतरा कम होता है।

तर्पण और अश्च्योतन कर्म : तर्पण और अश्च्योतन कर्म आयुर्वेदिक उपचार हैं, जो खासतौर से आंखों को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।

तर्पण में आंखों के चारों ओर औषधीय घी लगाना, पोषण प्रदान करना और दृष्टि में सुधार करना शामिल है। अश्च्योतन कर्म में आंखों को साफ करने और रोशनी बढ़ाने के लिए हर्बल आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल शामिल है।

आंखों के ऑप्टीमल हेल्थ को बनाए रखने के लिए इन उपचारों का पालन ​​करने की सलाह दी जाती है।

 

Share This Article