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दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आज उद्घाटन

दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आज उद्घाटन : देश को कश्मीर घाटी से रेल मार्ग से जोड़ने का सपना आज पूरा हो जाएगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू के कटरा से श्रीनगर के लिए रेल को हरी झंडी दिखाएंगे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे पीएम मोदी की …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 06 Jun, 2025
दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आज उद्घाटन

दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आज उद्घाटन : देश को कश्मीर घाटी से रेल मार्ग से जोड़ने का सपना आज पूरा हो जाएगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू के कटरा से श्रीनगर के लिए रेल को हरी झंडी दिखाएंगे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे पीएम मोदी की दृढ़ इच्छा शक्ति का नतीजा बताया. शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू से श्रीनगर की रेलवे लाइन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक और इंजीनियरिंग की दृष्टि से दो बड़े पुल चिनाब का पुल और अंजी पुल का भी लोकार्पण किया जाएगा।

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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “दशकों से यह जो बड़ा सपना था जम्मू और कश्मीर को रेलवे लाइन से जोड़ने का वह सपना पूरा होगा. इसके लिए दो वंदे भारत ट्रेन जो विशेष तौर से डिजाइन की गई है. यह दोनों ट्रेन हाई एल्टीट्यूड के हिसाब से एक विशेष तौर के डिजाइन से निर्मित की गई हैं. इन दोनों ट्रेनों का भी शुक्रवार (6 जून) को ही प्रधानमंत्री फ्लैग ऑफ करेंगे.अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कटरा में माता वैष्णो देवी के भक्तों को कश्मीर आने-जाने के लिए बड़ी सुविधा मिलेगी. जम्मू का स्टेशन एक अलग प्रारूप में बन रहा है. जम्मू के स्टेशन पर हाई एल्टीट्यूड पर जाने के लिए दुनिया के कई देशों में इस्तेमाल की जाने वाली ब्रिजिंग तकनीक का इस्तेमाल होगा।

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ब्रिजिंग का मतलब सामान्य एल्टीट्यूड आई एक गाड़ी में से हाई एल्टीट्यूड जाने का लिए दूसरी गाड़ी में बैठने वाली व्यवस्था जम्मू में होगी.” अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हाईवे पर केबल के ब्रिज कई जगह बने हैं, लेकिन रेलवे के लिए केवल का ब्रिज पहली बार बना है. इसका कारण यह है कि रेलवे में भार या लोड बहुत होता है. हाईवे पर चलने वाली ट्रक का सामान्य लोड 40 से 50 टन होता है लेकिन ट्रेन का वजन 4,000 टन के आसपास होता है, इसलिए सामान्य तौर पर रेलवे केबल ब्रिज नहीं बनता.”उन्होंने कहा कि यह केबल ब्रिज इसलिए बनाया गया क्योंकि पुल को समर्थन देने वाले पिलर बनाने की जगह यहां नहीं थी. यह सफर इसलिए भी यादगार है क्योंकि कटरा से बनिहाल तक का 111 किलोमीटर का सफर है, जिसमें 97 किलोमीटर का सफर टनल में से तय होगा।

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