आशियाना बेशुमार- नहीँ मिले खरीददार, MDDA लाचार-फ्लैट्स हो रहे बेकार : हर इंसान का सपना होता है कि उसका भी एक आशियाना हो .. अपने घर को बनाने में इंसान की जीवन भर की पूंजी लग जाती है लेकिन कुछ बदनसीब ऐसे होते हैं जिन्हे लाख कोशिशों के बाद भी अपनी छत नसीब नहीं हो पाती है जिनके लिए सरकारी योजना के तहत दरवाज़े खोलता है उत्तराखंड आवास विकास परिषद से जुड़े प्राधिकरण, सिर्फ इतना ही नहीं गरीबों के साथ-साथ हाई क्लास लोगों और मिडिल क्लास लोगों के लिए भी प्राधिकरण योजनाएँ लेकर आता है उत्तराखंड सरकार भी हर श्रेणी के परिवारों के लिए सस्ते कीमत पर आवास उपलब्ध कराते है जो आम जन की पहुंच से ही बहार है। सिर्फ कहने के लिए ये फ्लैट्स सस्ते होते हैं लेकिन गुणवत्ता और रख रखाव के नाम पर इनका भगवान ही मालिक है आखिर कौन पैसे खर्च करके पीली बिल्डिंग में रहना पसंद करेगा। अगर बात करे उत्तरप्रदेश की तो वह यही HIG और MIG फ्लैट्स सस्ते दामों में मिल जाते है लेकिन वही उत्तराखंड में इनके रेट आम जन की पहुंच से बहार है। अब अगर बात राजधानी देहरादून की करें तो यहाँ मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ये काम करता है वहीँ हरिद्वार में भी हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के हांथों में बेघरों के आशियाने की चाभी है। जब इस विषय पर MDDA के vc बंशीधर तिवारी से खोजी नारद के द्वारा सवाल किया गया तो देखिये उन्होंने क्या जवाब दिया।।
बाइट – बंशीधर तिवारी , वीसी , एमडीडीए
तो चलिए पहले आपको देहरादून में बनायीं गयी इन इमारतों के बारे में ये आंकड़े बता देते हैं बंशीधर तिवारी ने अपना कार्यभार एक सितम्बर 2022 में संभाला था और अब उन्हें ढाई साल हो चुके है ISBT प्रोजेक्ट के पिछले साल 115 फ्लैट्स खाली थे और फ़िलहाल भी 80 फ्लैट्स खाली है क्या साल भर में प्राधिकरण सिर्फ 35 ही फ्लैट बेचने में सफल हुआ।
देहरादून में पहला मेगा प्रोजेक्ट आईएसबीटी पर स्थित हैं जहाँ विशाल इमारते बनाई गई है जिनमें ई डब्ल्यू एस के 224 फ्लैट्स बने हैं जो प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल है जिनमें से कई फ्लैट खाली पड़े है वहीँ 388 HIG फ्लैट बने हैं जिसमें फिलहाल 80 खाली है वहीं 132 MIG के फ्लैट्स बने है जिनमें से 17 खाली है और LIG के 144 फ्लैट्स में से 87 खाली पड़े हैं जिसका कोई ख़रीददार प्राधिकरण को नहीं मिल रहा है। और जिन लोगों ने ये फ्लैट लिए है उनमें से आधे बेच के जा चुके है और जो रह रहे है वो गुणवत्ता और सुविधाओं को देखते हुए बेच कर निकलना चाहते हैं
अब बात दूसरे प्रोजेक्ट की करें तो धौलास एक बड़ा प्रोजेक्ट यहाँ पर भी है जहाँ EWS के 240 फ्लैट्स बनाए गए है जिसमें लॉटरी तो पूरी हो गयी है लेकिन एक भी फ़्लैट अभी भरा नहीं है। और MIG के 168 फ्लैट्स बनाये गए हैं जो पूर्ण रूप से खाली है जबकि उनकी बिक्री का विज्ञापन प्राधिकरण कई वर्षों से चला रहा है लेकिन खराब गुणवत्ता और सुविधाओं के कारण वो भी नहीं बिक पा रहे है ।
अब बात करे आमवाला तरला यानी आलयम परियोजना की जहाँ प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत 240 फ्लैट्स है और HIG के 112 फ्लैट्स है जिनमें से 26 खाली है MIG के 112 फ्लैट्स हैं जिनमें से 107 खाली हैं मतलब मात्र 5 ही फ्लैट्स बिक पाएं हैं जो दिखाता है कि प्राधिकरण कि मार्केटिंग टीम कितना ज़बरदस्त कार्य कर रही हैं और अधिकारियों की इन पर कितने पैनी नजर है वहीँ LIG के 80 हैं जिनमें से 65 फ्लैट्स खाली है बात स्टूडियो अपार्टमेंट की करें तो 48 बनाए गए है जिनमें से 37 फ्लैट्स खाली हैं जिसका कोई खरीददार नहीं मिल पा रहा है। लम्बे समय से ये फ्लैट्स खाली पड़े हैं जिससे जनता का पैसा जनता के काम ही नहीं आ पा रहा है और हैरानी की बात तो ये है कि शहर के कोने कोने में बड़े बड़े बिल्डर्स के बेशकीमती अपार्टमेंट्स और फ्लैट्स धड़ाधड़ हांथो हाँथ बिक जा रहे हैं। जिसका मुख्य कारण हैं उनकी गुणवत्ता और ज़बरदस्त मार्केटिंग ।
वहीं अगर हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण की बात करें तो सन 2017 से हरिद्वार के सिडकुल में इंद्रलोक नाम से प्रोजेक्ट बनाया गया था जिसमें 96 MIG फ्लैट्स बनाए गए थे जिनमें से 68 खाली पड़े है ये दर्शाता है कि प्राधिकरण की कितनी लचर व्यवस्था है जबकि इन फ्लैट्स की मार्केटिंग में करोड़ों रुपए स्वाह हो गए है और स्थिति ये है कि प्राधिकरण को खाली पड़े फ्लैटों के सौंदर्य करण में हर साल करोड़ों रुपया खर्च करने पड़ते है प्राधिकरण के पास 655 आशियाने पिछले कई वर्षों से तैयार पड़े है लेकिन लचरता और ख़राब गुणवत्ता के कारण खरीदार नहीं मिल पा रहा हैं ।
इसी मुद्दे को बीते दिन देहरादून में हुई उत्तराखंड हाऊसिंग एन्ड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के मेगा वर्कशॉप में खोजी नारद ने प्रमुखता से उठाया तो विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने भी प्राधिकरण के फ्लैट्स न बिकने के मामले पर दो टूक कहा कि ये गंभीर मामला है और इसके पीछे क्या वजह है इसका पता लगाने के लिए वो जांच कराएँगे।
बाइट – मीनाक्षी सुंदरम , सचिव
खोजी नारद ने फ्लैट्स की कीमतों और आम आदमी की ज़रूरतों से जुड़ा सवाल जब उत्तराखंड हाऊसिंग एन्ड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के हेड प्रकाश चंद दुमका से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि लोअर मिडिल क्लास की जेब को ध्यान में रखते हुए ही फ्लैट्स की कीमत निर्धारित की जाती है उसके साथ ही लोन और अन्य सहूलियतें भी खरीददार के लिए मुहैया कराइ जाती है सुनिए उनका क्या कहना है –
बाइट – प्रकाश चन्द्र दुमका , उत्तराखंड हाऊसिंग एन्ड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी
सवाल ये उठता है कि जब शहर की प्राइम लोकेशन पर बने ये फ्लैट्स लम्बे समय से खाली पड़े हैं और इनका रखरखाव और मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है तो इनकी गुणवत्ता और बनावट पर भी बुरा असर पड़ रहा है जो आप इन तस्वीरों में साफ़ देख सकते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री धामी का वो सपना जिसमें वो गरीब को अपना घर देने की बात कहते हैं उस पर कहीं न कहीं सवाल भी खड़े होते हैं कि फ्लैट्स बने हैं उपलब्ध भी है लेकिन खरीददार नदारद हैं।