शैम्पू, लोशन और साबुन से है कैंसर का खतरा ! : आजकल हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई तरह के ब्यूटी और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं. शैम्पू बालों को साफ करने के लिए, लोशन त्वचा को मुलायम रखने के लिए और साबुन शरीर को कीटाणुओं से बचाने के लिए जरूरी माने जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन उत्पादों में मौजूद कुछ केमिकल्स कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ा सकते हैं? आइए खोजी नारद की इस स्पेशल रिपोर्ट में जानते हैं उन खतरनाक केमिकल्स के बारे में जिनका इस्तेमाल इन प्रोडक्ट्स में सबसे ज्यादा होता है।
ये खतरनाक केमिकल्स बढ़ा सकते हैं खतरा
कई शोधों में यह बात सामने आई है कि शैम्पू, लोशन और साबुन में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. इनमें से कुछ मुख्य केमिकल्स इस प्रकार हैं – पैराबेन्स केमिकल्स प्रोडक्ट्स को खराब होने से बचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पैराबेन्स शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम कर सकते हैं, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
शैम्पू और साबुन में झाग बनाने के लिए सल्फेट्स का इस्तेमाल होता है. ये त्वचा और बालों को रूखा बना सकते हैं और कुछ लोगों में एलर्जी का कारण भी बन सकते हैं. लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है.फथलेट्स केमिकल्स लोशन और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स को मुलायम बनाने के लिए डाले जाते हैं. कुछ शोध बताते हैं कि फथलेट्स हार्मोनल बदलाव ला सकते हैं और कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. कई प्रोडक्ट्स में अच्छी खुशबू के लिए आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस का इस्तेमाल होता है. इनमें कई तरह के हानिकारक केमिकल्स छिपे हो सकते हैं जो एलर्जी, सांस लेने में तकलीफ और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकते हैं।
कैसे करें बचाव?
प्रोडक्ट्स खरीदते समय उनके लेबल को ध्यान से पढ़ें और हानिकारक केमिकल्स से मुक्त उत्पादों का चुनाव करें। आजकल बाजार में कई तरह के प्राकृतिक और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं. इनमें हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं होता है.कम प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें: जितना हो सके, कम प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें ताकि आपकी त्वचा और शरीर कम केमिकल्स के संपर्क में आए.आप चाहें तो कुछ आसान ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे कि उबटन और हेयर मास्क घर पर भी बना सकते हैं.थोड़ी सी सावधानी बरतकर हम कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं।