खुल गई फूलों की घाटी, जानिये क्यों इतनी खास है ? : स्कंद पुराण के केदारखंड में फूलों की घाटी को नंदनकानन कहा गया है. कालिदास ने अपनी पुस्तक मेघदूत में फूलों की घाटी को अलका कहां है, फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की थी. फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे. फ्रेंक और उनके साथी होल्डसवर्थ ने इस घाटी को खोजा और उसके बाद यह प्रसिद्ध पर्यटल स्थल बन गया।
चार धाम यात्रा 2025 के शरू होने के बाद चमोली जनपद में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी सैलानियों के लिए खोल दी गई है। पहले दिन फूलों की घाटी के दीदार करने के लिए सैलानी पहुंचे हैं। सैलानियों का वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा फूलों की घाटी के मुख्य गेट पर स्वागत किया गया। जून महीने में 62 सैलानियों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन करवाया है। यहां 300 से अधिक प्रजातियों के हिमालयी फूल खिलते हैं।
इस घाटी को लेकर स्मिथ ने “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” किताब भी लिखी है. फूलों की घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है.यहां आप फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देख सकते हैं. फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पर्यटकों को शिविर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है. पर्यटक इस घाटी के निकटतम कैंपिंग साइट पर ही कैंपिंग कर सकते हैं.फूलों की घाटी का नजदीकी कैंपिंग साइट घांघरिया का सुरम्य गांव है।
विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी जहां की 500 से अधिक देशी विदेशी फूल खिलते हैं. फूलों की घाटी का दीदार करने के लिए हजारों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. वहीं फूलों की घाटी 1 जून से 31 अक्टूबर तक सैलानियों के लिए खुली रहेगी. आज सुबह वैली ऑफ फ्लावर्स के मुख्य प्रवेश द्वार पर 45 सैलानी का स्वागत किया, जो फूलों की घाटी का दीदार करने के लिए लालायित दिखाई दिए.हर साल भारी संख्या में देश-विदेश से सैलानी ट्रैक कर फूलों की घाटी का दीदार करते हैं और रंग-बिरंगे 500 से अधिक प्रजाति के फूलों को देख रोमांचित होते हैं।
यहां जैव विविधता और अल्पाइन पुष्पों की दुर्लभ प्रजातियों देखने को मिलती हैं. गौर हो कि पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को प्रवेश शुल्क के साथ शाम 4 बजे से पूर्व फूलों की घाटी से वापस आकर प्रवेश द्वार पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी. पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को राष्ट्रीय पार्क और वन्य जीव संरक्षण के नियमों के नियमों का पालन करना होता है।
चमोली में वैली ऑफ फ्लावर्स समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर करीब 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है. फूलों की घाटी को साल 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है. फूलों की घाटी अपने विभिन्न प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूलों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां 500 से ज्यादा फूलों की प्रजातियां हैं।