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कहां है दुनिया की आखिरी सड़क

कहां है दुनिया की आखिरी सड़क : आप भारत के रहने वाले हों या भारतीय होकर किसी और देश में रहते हों, अगर आपने सड़कों पर सफर किया होगा तो एक बात आपके जहन में जरूर आई होगी कि आखिर रास्ते खत्म कहां होते हैं? शायद आपको किसी देश के …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 13 Dec, 2024
कहां है दुनिया की आखिरी सड़क

कहां है दुनिया की आखिरी सड़क :  आप भारत के रहने वाले हों या भारतीय होकर किसी और देश में रहते हों, अगर आपने सड़कों पर सफर किया होगा तो एक बात आपके जहन में जरूर आई होगी कि आखिर रास्ते खत्म कहां होते हैं? शायद आपको किसी देश के अंदर मौजूद सबसे बड़ी सड़कों का अंतिम छोर मिल भी जाए, पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर दुनिया की आखिरी सड़क कौन सी होगी? (Last road of the world) ये सड़क नॉर्वे में है और इसके आगे रास्ता खत्म हो जाता है. ये इतनी कठिन सड़क है कि यहां पर लोगों को अकेले जाने से रोका जाता है!

रिपोर्ट्स के अनुसार ई-69 हाइवे (E 69 Norway last road) नॉर्वे की आखिरी सड़क है. ये पश्चिमी यूरोप के उत्तर में है. ये हाइवे 129 किलोमीटर लंबा है और दक्षिण से उत्तर तक जाता है. उत्तर में यूरोप के आखिरी पॉइंट नॉर्थ कैप तक इसकी पहुंच है. इस सड़क के बीच में 5 टनल पड़ते हैं. ये नॉर्वे का आखिरी छोर है. पर इस सड़क के आगे कोई रास्ता भी नहीं है. ये नॉर्थ पोल के इतनी पास है कि ठंड के महीनों में सड़क पूरी तरह से बंद रहती है. इस रोड पर अकेले यात्रा करने पर मनाही है।

बेहद कठिन है ये सड़क

इस सड़क पर चलने पर बर्फ ही बर्फ, दूर-दूर तक नजर आती है. साथ में समुद्र भी दिखाई देता है. मौसम भी इतना अजीब है कि उसकी वजह से लोगों को ड्राइविंग में भी मुश्किल होती है. गर्मी के दिनों में बारिश, आंधी-तूफान और ठंड में बर्फ से भरी होने की वजह से इस रास्ते को 2-3 घंटे से भी ज्यादा वक्त में लोग पूरा कर पाते हैं. इस सड़क का निर्माण जून 1999 में हुआ था. उससे पहले यहां तक जाने के लिए नाव ही एक मात्र जरिया था।

नॉर्वे बेहद खूबसूरत देश है, पर यहां पर 6 महीने अंधेरा होता है क्योंकि ठंड के दिनों में सूरज ही नहीं निकलता. ये देश मिड नाइट सन के लिए चर्चित है. गर्मी के दिनों में 6 महीने सूरज दिखता है, जिससे आपको लगेगा कि रात ही नहीं हुई. 1930 में इस इलाके का विकास करना लोगों ने शुरू किया था. इस उजाड़ जगह को सैलानियों के लिए उपयुक्त बनाने और टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए 1934 में काम किया जाने लगा. तब जाकर यहां रेस्टोरेंट, सूविनियर शॉप भी खुल गईं. अब तो अलग-अलग देशों से लोग नॉर्थ पोल के पास मौजूद इस जगह को घूमने आते हैं।

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