Menu
#तत्काल प्रभाव

नहाना क्यों और कब जरूरी है ?

नहाना क्यों और कब जरूरी है ? : हिंदू धर्म में मंत्रों का महत्व है जो विशेष ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। सुबह के स्नान के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण मानसिक शांति और समस्याओं को हल करने में मदद करता है। स्नान शारीरिक शुद्धि के साथ आत्मिक शुद्धि भी …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 12 Jun, 2025
नहाना क्यों और कब जरूरी है ?

नहाना क्यों और कब जरूरी है ? : हिंदू धर्म में मंत्रों का महत्व है जो विशेष ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। सुबह के स्नान के लिए कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण मानसिक शांति और समस्याओं को हल करने में मदद करता है। स्नान शारीरिक शुद्धि के साथ आत्मिक शुद्धि भी करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हिंदू धर्म में मंत्रो का विशेष महत्व है। वास्तव में मंत्रों में लिखे हुए शब्द एक विशेष प्रकार की ऊर्जा पैदा करते हैं। यही ऊर्जा उस रूप में हमारे काम को करती है, जिसकी हम वास्तव में इच्छा कर रहे होते हैं।

इसी वजह से सुबह के स्नान से लेकर हर कार्य विशेष के लिए मंत्र (Chant Mantras for Morning Rituals) दिए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति स्नान करते समय कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण करता है, तो इससे न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कई तरह की समस्याएं भी हल हो जाती हैं।सुबह नित्य क्रियाओं को करने के बाद शरीर अशुद्ध और गंदा हो जाता है। ऐसे में शारीरिक शुद्धि के लिए नहाना जरूरी होती है। इसके अलावा यदि इस दौरान आप कुछ मंत्रों का जाप (mantra chanting) भी करते हैं, तो इसके शारीरिक शुद्धि के साथ ही आत्मिक शुद्धि भी हो जाती है।

पढ़ें बड़ी अपडेट :- चॉकलेट खाने के बेमिसाल फायदे

साथ ही साथ मन और शरीर की पवित्रता बढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही ऊर्जा आपको शारीरिक और मानसिक परेशानियों से लड़ने के योग्य बनाती है।

बाल्टी में ही आ जाएंगी सभी नदियां

मंत्रों में वह शक्ति है कि सभी पवित्र नदियों के जल को आपके पास ला सकते हैं। आपको नहाने से पहले पूरी श्रद्धा के साथ बाल्टी में पानी भरकर यह मंत्र कहना है…

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।

इस मंत्र का अर्थ है कि हे पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी आप सभी का मैं आह्वान कर रहा हूं। मेरे इस जल में आकर इसे भी पवित्र कर दो। यह मंत्र स्नान से पहले जपा जाता है, जो जल के पवित्रता और महत्व का प्रतीक है। यह मंत्र जल के उपहार के लिए भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक तरीका भी है।

पढ़ें बड़ी अपडेट :- केला खाने के अचूक फायदे

किस समय नहाना चाहिए

ब्रह्ममुहूर्त में भगवान का चिंतन करते हुए किए जाने वाले स्नान को ब्रह्म स्नान कहते हैं।
सूर्योदय से पहले देवनदियों में या उनका स्मरण करते हुए किए जाने वाले स्नान को देव स्नान कहते हैं।
सुबह आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों, तब किए जाने वाले स्नान को ऋषि स्नान कहते हैं।
सूर्योदय के समय तक किए जाने वाले सामान्य स्नान को मानव स्नान कहते हैं।
सूर्योदय के बाद में किए जाने वाले स्नान को दानव स्नान कहा जाता है।

Share This Article