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#उधम सिंह नगर

फांसी से पहले क्यों पूछते है आखिरी इच्छा ?

फांसी से पहले क्यों पूछते है आखिरी इच्छा ? : अक्सर आपने सुना होगा कि किसी ख़ास केस के दोषी को जुर्म के साबित होने पर फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन क्या आपको पता है कि किन नियमों के तहत दोषी को फांसी होती है. आपने टीवी या …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 02 Apr, 2025
फांसी से पहले क्यों पूछते है आखिरी इच्छा ?

फांसी से पहले क्यों पूछते है आखिरी इच्छा ? : अक्सर आपने सुना होगा कि किसी ख़ास केस के दोषी को जुर्म के साबित होने पर फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन क्या आपको पता है कि किन नियमों के तहत दोषी को फांसी होती है. आपने टीवी या फिल्मों में यह भी देखा होगा कि अपराधी को फांसी से पहले उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है. लेकिन क्या सच में ऐसा होता है और अगर होता है तो यह परंपरा आखिर कब और कहां से शुरू हुई है. चलिए आपको बताते हैं।

लंबे समय से चली आ रही है यह परंपरा

फांसी देने से पहले हर कैदी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है. आखिरी इच्छा पूछने की परंपरा कब से शुरू हुई इस बारे में तो जानकारी नहीं है, लेकिन यह सदियों से चली आ रही है. क्योंकि पहले के समय में लोगों का मानना था कि अगर मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी न की जाए तो उसकी आत्मा भटकती रहती है. इसीलिए आज भी किसी भी कैदी की फांसी से पहले उसकी अंतिम इच्छा जरूर पूछी जाती है. हालांकि जेल के मैनुअल में आखिरी इच्छा पूछे जाने का कोई प्रावधान तय नहीं है, लेकिन यह जेल की परंपरा में लंबे वक्त से चला आ रहा है।

कौन सी आखिरी इच्छाएं होती हैं पूरी

लंबे वक्त तक दिल्ली जेल में ऑफिसर रह चुके सुनील गुप्ता ने एकबार बताया था कि ऐसा प्रावधान इसलिए है, क्योंकि अगर कोई अपराधी यह कहे कि आखिरी इच्छा के नाम पर यह कहे कि उसको फांसी न दी जाए, तो ऐसे में उसकी बात नहीं मानी जा सकती है. इसलिए जेल मैनुअल में आखिरी इच्छा पूरी करने जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है. लेकिन परंपरा चली आ रही है, इसलिए आखिरी इच्छा पूछी जाती है. कैदी से उसकी आखिरी इच्छा के रूप में यह पूछा जाता है कि आखिरी बार वह क्या खाना चाहता है, अपने परिवार से मिलना चाहता है या फिर किसी पुजारी या मौलवी से मिलना चाहता है या फिर कोई धार्मिक पुस्तक पढ़ना चाहता है।

सूर्योदय के वक्त ही क्यों दी जाती है फांसी

अगर कैदी इसके अलावा कोई और चीज मांगता है तो जेल की नियमावली के अनुसार देखा जाता है कि उसे पूरा किया जा सकता है या नहीं. अगर उसे पूरा करने में लंबा वक्त लगता है तो उस इच्छा को अस्वीकार्य मानते हैं. अगर अपने आखिरी के 14 दिनों में दोषी पढ़ने के लिए कोई किताब मांगता है तो वह उसे दी जाती है. इसके अलावा फांसी हमेशा सुबह के वक्त दी जाती है, ताकि बाकी कैदियों का कोई काम बाधित न हो. दूसरा कारण यह होता है कि इसके बाद परिजनों को अंतिम संस्कार का वक्त मिल जाता है।

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