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जनौरा गांव को क्यों कहते हैं सीता जी का मायका?

जनौरा गांव को क्यों कहते हैं सीता जी का मायका ? : मार्गशीर्ष या अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो कि इस साल आज 6 दिसंबर 2024 को मनाया गया है. इस दिन को राम-सीता की वर्षगांठ के रूप …

By Hindi News 24x7 - News Editor
Last Updated: 12 Dec, 2024
जनौरा गांव को क्यों कहते हैं सीता जी का मायका?

जनौरा गांव को क्यों कहते हैं सीता जी का मायका ? : मार्गशीर्ष या अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो कि इस साल आज 6 दिसंबर 2024 को मनाया गया है. इस दिन को राम-सीता की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. माता सीता का विवाह अयोध्या के श्रीराम के साथ हुआ था. वहीं माता सीता के पिता जनकपुर में रहते थे. सीता जी का विवाह भी जनकपुर में हुआ था. जनकपुर का कुछ हिस्सा बिहार और कुछ हिस्सा नेपाल में है. इसलिए ये दोनों ही जगह को वर्तमान में सीता जी का मायका कहा जाता है।

अयोध्या में सीता जी का पीहर और ससुराल

लेकिन क्या आप जानते हैं बिहार और नेपाल के अलावा भी सीता जी का एक और मायका है जोकि अयोध्या में ही है. जी हां, भले ही आपको यह बात जानकर हैरानी हो लेकिन यह पूरी तरह सत्य है. अयोध्या नगरी में सीता जी का ससुराल भी है और पीहर भी. आइये जानते हैं अयोध्या का जनौरा गांव कैसे बना सीता जी का मायका।

अयोध्या में जनौरा गांव को माता सीता के पिता राजा जनक ने बसाया था. उन्होंने राजा दशरथ से अयोध्या के पास भूखंड खरीदकर इस गांव को बसाया था. इसलिए अयोध्या से सटे जनौरा गांव को राजा जनक की मल्कियत कहा जाता है. जनौरा गांव में राजा जनक ने महल भी बनाया. साथ ही अपने आराध्य शिवजी का मंदिर भी।

इस कारण बसाया गया जनौरा गांव

वाल्मिकी रामायण के कई प्रसंगों में राजा जनक को पांरपारिक बताया गया है और रूढ़िवादी भी. उन्होंने सीता जी का विवाह अयोध्या में कर दिया लेकिन. 15 दिन बीतने के बाद जब उनके कुलगुरु ने सीता को कलेवा भिजवाने की सलाह दी तो राजा जनक ने खुद ही कलावा लेकर अयोध्या जाने का निर्णय किया. लेकिन समस्या यह थी कि वह जितने दिन अयोध्या में रुकेंगे तो क्या खाएंगे और कहां ठहरेंगे. क्योंकि सनातन धर्म में पिता अपनी बेटी के ससुराल में जल तक ग्रहण नहीं करते. ऐसे में राजा जनक ने अपने दूत को अयोध्या भेजकर राजा दशरथ से अयोध्या में ही एक भूखंड खरीदने को कहा।

अयोध्या नगर

इसके बाद अयोध्या नगर से बाहर इस भूखंड में एक गाव बसाया गया, जिसका नाम जनौरा रखा गया. फिर राजा जनक सीता जी के लिए कलेवा लेकर पहुंचे और इसी गांव में ठहरे. रामायण में वर्णित कथा के अनुसार राजा जनक जब सीता जी के लिए कलेवा लेकर अयोध्या आए थे तो जनौरा गांव में करीब एक अरसे तक ठहरे थे. इसके बाद भी राजा जनक जब-जब अयोध्या आए तो यहीं जनौरा में बने अपने भवन में ही ठहरे।

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